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105 MM की जिन तोपों से दी गई गणतंत्र दिवस की सलामी वो बनती हैं मध्यप्रदेश के जबलपुर में, जानें कितनी ताकतवर हैं ये तोपें
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कर्तव्य पद पर गरजने वाली इन तोपों से पहले तक ब्रिटिश गन 25 पाउंडर आर्टिलरी से ये सलामी दी जाती थी, लेकिन अब इसकी जगह 105 मिमी की इंडियन फील्ड गन (105 mm Indian Field Gun)ने ले ली है। आर्मी सूत्र बताते हैं कि आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (ARDE)ने 1972 में इंडियन फील्ड गन को बनाया और जबलपुर की जीसीएफ खमरिया में 1984 में इसका सेना के लिए उत्पादन शुरू हुआ।
जबलपुर के खमरिया स्थित गन कैरेज फैक्ट्री में बनने वाली इस तोप के लिए अब कानपुर स्थित फील्ड गन फैक्ट्री भी सहयोग करती है। जबलपुर में कई बार आम जनता के लिए इन तोपों की प्रदर्शनी भी लगाई जा चुकी है। इस तोप को बेहद हल्की होने की वजह से फील्ड गन भी कहा जाता है। इसके तीन मॉडल हैं, सबसे हल्का मॉडल 2380 kg का है, वहीं सबसे भारी मॉडल 3440 kg का है। इसकी लंबाई लगभग 19.6 फीट होती है, जिसमें 105×371 mm का गोला डाला जाता है।
इस इंडियन फील्ड गन के कई फीचर पहले इस्तेमाल की जाने वाली ब्रिटिश L118 Light Gun की तरह हैं, वहीं कई फीचर्स उससे बेहतर भी हैं। अन्य तोपों के मुकाबले ये बेहद हल्की होने के कारण कहीं भी आसानी से ले जाई सकती है। सबसे खास बात ये है कि इस तोप को चलाने और मेंटेन करने में 2 से तीन लोग ही लगते हैं।
ये है इस तोप की ताकत
रेंज : 30 किमी दूर तक सटीक मारक क्षमता
फायरिंग रेट : 6 से 10 गोले प्रति मिनट
डैमेज : मध्यम स्तर के वाहन, बंकर या टारगेट
खास : बेहद कम वजन, किसी भी इलाके में ले जाने में आसानी
भारत में 21 तोपों की सलामी को देश का सर्वोच्च सम्मान माना गया है। ये सलामी राष्ट्रीय ध्वज और भारतीय गणतंत्र के मुखिया यानी राष्ट्रपति को दी जाती है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 21 तोपों की सलामी सिर्फ 7 तोपों से दी जाती है। हर तोप के साथ एक एक्स्ट्रा तोप भी रखी जाती है, जिससे कोई तोप रुक जाए तो दूसरी तुरंत इस्तेमाल की जा सके। सलामी के दौरान हर धमाके के बीच लगभग दो सेकंड का अंतर होता है। 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर अतिथियों व दर्शकों ने राष्ट्रगान के साथ 21 तोपों की सलामी को बेहद करीब से महसूस किया।