सार
बेंगलुरु. फूड एग्रीगेटर ऐप्स, ज़ोमैटो और स्विगी पर इस तरह के आरोप कोई नई बात नहीं है. ग्राहक अक्सर शिकायत करते हैं कि इन ऐप्स के ज़रिए रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर करने पर ज़्यादा पैसे लगते हैं, जबकि रेस्टोरेंट में वही खाना कम दाम में मिलता है. यह बात सच भी है. लेकिन, कीमतों में कितना अंतर होता है, इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है. कई बार ज़ोमैटो रेस्टोरेंट के मुकाबले दोगुनी कीमत भी वसूलता है. इसी मुद्दे पर एक शख्स ने ज़ोमैटो के मालिक और सीईओ दीपिंदर गोयल से सवाल किया है. इस पोस्ट पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. कुछ लोगों का कहना है कि ज़ोमैटो का ज़्यादा दाम वसूलना जायज़ है, क्योंकि अगर आपको घर बैठे खाना चाहिए तो ज़्यादा पैसे देने ही होंगे. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें ज़ोमैटो के ज़्यादा दामों के बारे में पता है, लेकिन कई बार यह अंतर बहुत ज़्यादा हो जाता है.
लिंक्डइन पोस्ट में क्या लिखा है: प्रत्यूष बैनर्जी नाम के एक शख्स ने मिक्स्ड कैंटोनीज़ ग्रेवी नूडल्स और ड्राई चिल्ली चिकन ज़ोमैटो से ऑर्डर किया. रेस्टोरेंट से सीधे ऑर्डर करने पर और ज़ोमैटो से ऑर्डर करने पर इन दोनों ही खानों की कीमत अलग-अलग थी. रेस्टोरेंट से ऑर्डर करने पर बिल 370 रुपये आया, जबकि ज़ोमैटो पर यही खाना 563 रुपये का था. यानी एक ही रेस्टोरेंट से एक ही खाने के लिए ज़ोमैटो 193 रुपये ज़्यादा वसूल रहा था.
शख्स ने लिखा कि न सिर्फ़ कुल बिल ज़्यादा था, बल्कि ज़ोमैटो ऐप पर कुछ खाने की कीमतें बहुत ज़्यादा थीं. रेस्टोरेंट में नूडल्स 190 रुपये के थे, जबकि ज़ोमैटो पर 300 रुपये. चिल्ली चिकन रेस्टोरेंट में 180 रुपये का था, जबकि ज़ोमैटो पर 270 रुपये.
दोनों बिलों की तस्वीर शेयर करते हुए शख्स ने लिखा, 'रेस्टोरेंट से सीधे ऑर्डर करने और ज़ोमैटो से ऑर्डर करने पर बिल में अंतर. दीपिंदर गोयल अपना अच्छा काम जारी रखें. मुझे लगता है जल्द ही आप एक हवाई जहाज या नौका भी खरीद लेंगे.' उन्होंने ज़ोमैटो हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए व्यंग्यात्मक पोस्ट किया.
लोगों की प्रतिक्रिया: ज़्यादातर लोगों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. कुछ का कहना था कि ज़ोमैटो आपके घर तक खाना पहुंचाता है, डिलीवरी बॉयज़ को इससे फायदा होता है, और ब्रांड पैकेजिंग भी होती है, इसलिए कीमतें ज़्यादा होती हैं.