वैज्ञानिकों की मानें तो वर्ष 2015 में जो शक्तिशाली भूकंप नेपाल में आया था, वह इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट यानी टेक्टॉनिक प्लेट के लगातार घूमने की वजह से ही आया था।
नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि नेपाल की धरती को जिंदा जमीन कहा जाता है। यह मजाक नहीं है और न ही हम आपकी फिरकी ले रहे हैं। दरअसल, इसकी एक बड़ी वजह है। नेपाल में इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट, जिसे टेक्टानिक प्लेट भी कहते हैं, शिफ्ट होता रहता है। यही नहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि प्लेट अगर इसी तरह लगातार शिफ्ट होती रही, तो करीब पंद्रह सौ किलोमीटर आगे बढ़ जाएगी। हालांकि ऐसा होने के लिए करोड़ों साल का इंतजार करना होगा। यह इतनी जल्दी नहीं होने जा रहा।
नेपाल में अप्रैल 2015 में भूकंप आया था। यह बेहद तगड़ा भूकंप था, जिसकी तीव्रता रेक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई थी। इस आपदा में सैंकड़ों लोगों की मौत हुई। इस भूकंप की वजह से बहुत से शहर और गांव पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि यह भूकंप इस इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट के लगातार घूमने से ही नेपाल में इतना तेज भूकंप आया था।
भारत और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट 6 मीटर तक खिसक गई!
इससे पहले करीब इसी तीव्रता का भूकंप 1934 में नेपाल में आया था। इस भूकंप की वजह से भारत और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट करीब 6 मीटर तक अपनी जगह से हट गई थी। अब आपको बताते हैं कि टेक्टॉनिक प्लेट क्या है और ये कहां व कैसे घूमते हैं। दरअसल, टेक्टॉनिक प्लेट धरती की ऊपरी सतह है और इसे भू-प्लेट भी कहते हैं। यह कई हिस्सों में बंटी होती है।
कैसे हुआ हिमायल का निर्माण, बढ़ रही है भारत की प्लेट
वैज्ञानिक यह भी दावा करते हैं कि इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ने से ही हिमालय का निर्माण हुआ था। वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि इंडियन प्लेट करीब लाखों वर्षों से यूरेशियन प्लेट ओर बढ़ते हुए अपना दबाव बढ़ा रही है। इस दबाव की वजह से ही हिमालय पर्वत बना। इंडियन प्लेट इस समय उत्तर दिशा में तिब्बत की ओर यानी यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है। हर साल भारत की प्लेट तिब्बत प्लेट की तरफ करीब 20 मिलीमीटर बढ़ती है। इससे तिब्बत के उत्तर और दक्षिणी क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं।
करोड़ों साल में पंद्रह सौ किलोमीटर की दूरी तय करेगी नेपाल की जमीन
वहीं, नेपाल की टेक्टॉनिक प्लेट इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट पर है। यह बड़ा प्लेट है। आस्ट्रेलियन प्लेट 2.2 इंच की दर से बढ़ रहा है, जबकि इंडियन प्लेट दो सेंटीमीटर की दर से यूरेशियन प्लेट की ओर गतिशील है। ऐसे में इन दोनों के लगातार बढ़ते रहने से नेपाल की जमीन लगातार गतिमान है और वैज्ञानिकों का दावा है कि अगले करोड़ों साल में यह करीब पंद्रह सौ किमी की दूरी तय कर लेगी।
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