सार

मिडिल ईस्ट के जिन शहरों में भूकंप ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है, उनमें अंकारा, गाजियांटेप, कहरामनमारस, डियर्बकिर, मालट्या, नूरदगी शामिल हैं। इसके अलावा भी कई इलाकों की तस्वीर बेहद डरावनी है।

ट्रेंडिंग डेस्क : सोमवार की सुबह दुनिया के लिए बुरी खबर लेकर आया। मिडिल ईस्ट के चार देश तुर्किये, सीरिया, लेबनान और इजराइल में भूकंप के बाद जो तबाही मची है, उसके खौफनाक मंजर ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। एपिसेंटर तुर्किये (Turkey Bhukamp) और सीरिया का मंजर तो बेहद डरावना है। तुर्किये-सीरिया समेत चारों देशों में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई है। वहीं, हजारों लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। कहा जा रहा है मौत का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया ने प्राकृतिक तबाही का ऐसा खौफनाक मंजर पहली बार देखा है। इससे पहले भी कई बार प्रकृति का ऐसा कहर (Worst Natural Disasters in World) देखने को मिला है, जब गांव के गांव और शहर के शहर तबाह हो गए।

एंटिओक में सबकुछ तबाह

526 ईस्वी में सीरिया और एंटिओक में आए एक भूकंप ने सबकुछ खत्म कर दिया था। तब यह क्षेत्र बीजान्टिन साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। कहा जाता है कि प्राकृतिक आपदा ईसा के जन्म से पहली सहस्राब्दी में हुई थी। 20 से 29 मई 526 की वो तारीख तबाही का मंजर लेकर आया है। इस आपदा में उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण करीब 2.5 लाख लोग मारे गए थे।

अलेप्पो की तबाही

इतिहास के मुताबिक, सीरिया में ऐसा ही एक भूकंप 1138 में आया था, तब अलेप्पो की पूरी नींव ही हिल गई थी। किले की दीवारें और चट्टानें सैंकड़ों फीट जमीन में समां गई थई। अलेप्पो के आस पास के छोटे कस्बे पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। ऐसिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक, इस भूकंप की तबाही में करीब 2 लाख 30 हजार जिंदगियां समाप्त हो गई थीं।

शानक्सी में महाविनाशकारी भूकंप

चीन का शानक्सी प्रांत भी ऐसी ही एक तबाही को अपनी आंखों से देख चुका है। यह मानव इतिहास का सबसे ज्यादा जानलेवा भूकंप माना जाता है। बताया जाता है कि 1556 में शहर में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर करीब 8 की थी। भूकंप आते ही जमीन फट गई थी और भूस्खलन हुए थे। इस तबाही में 8 लाख 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी।

कोरिंगा में चक्रवात का खौफनाक मंजर

बात 1839 की है, तब आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के छोटे से शहर कोरिंगा में एक विशाल चक्रवात ने ऐसी तबाही मचाई थी, कि आज भी रुह कांप जाती है। चक्रवात की चपेट में आने से 3.2 लाख लोग मारे गए थे। कोरिंगा बंदरगाह और आसपास के 25,000 से ज्यादा जहाज बर्बाद हो गए थे। भारत के इतिहास का यह सबसे खौफनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक था।

हैपोंग तूफान से तबाही

वियतनाम भी ऐसी ही एक तबाही का खौफनाक मंझर झेल चुका है. 1881 में हैपोंग तूफान ने देश को ऐसा नुकसान पहुंचाया था कि 3 लाख से ज्यादा लोग मौत के मुंह में समां गए थे। 22.8 बिलियन डॉलर की संपत्ति और उद्योग तबाह हो गए थे।

पीली नदी की बाढ़ में सबकुछ बह गया

1887 में चीन में पीली नदी में आई बाढ़ और तेज बहाव ने 50,000 वर्ग मील को अपनी चपेट में ले लिया था। कथित तौर पर इस बाढ़ में 9 लाख से 20 लाख लोगों की जान जाने का दावा किया जाता है। नदी के पानी ने कई घरों को उजाड़ दिया और सबकुछ तबाह कर दिया था।

हेयुआन में कई गांव दफ्न

चीन के हेयुआन शहर में 1920 में करीब 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप इतना तेज था कि इसके झटके हजारों किलोमीटर दूर नॉर्वे तक महसूस किए गए थे। इस प्राकृतिक आपदा में हेयुआन प्रांत में करीब 2 लाख लोगों की जान चली गई थी। पड़ोसी प्रांत शीजी का तो एक बड़ा गांव ही भूस्खलन में दफ्न हो गया था। कई बड़े शहर तबाह हो गए थे। इस भूकंप ने कुछ नदियों को रोक दिया था और सबकुछ बदलकर रख दिया था।

तुर्की में 100 साल पहले तबाही

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक, ऐसी तबाही तुर्किये पहले भी देख चुका है। 1939 में 7.8 तीव्रता से आए एक भूकंप ने 30 हजार लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। वहीं, 1999 में 7.2 तीव्रता से आए भूकंप में 845 लोगों की जान चली गई थी।

द ग्रेट भोला चक्रवात ने दहलाया

1970 में दक्षिण एशिया के देश बांग्लादेश में द ग्रेट भोला चक्रवात की वजह से बांग्लादेश (तब का पूर्वी पाकिस्तान) बाढ़ की चपेट में आ गया था। देश की सीमा से लगे समुद्र में 35 फीट ऊंची लहरें उठी थीं, जिनकी वजह से बड़ा भू-भाग प्रभावित हुआ था। इस प्राकृतिक आपदा में पूर्वी पाकिस्तान में 3 से 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी। भोला चक्रवात उष्णकटिबंधीय तूफानों में अब तक का सबसे खतरनाक तूफान था। भारत में भी इसका असर देखने को मिला था।

तांगशान में शहर ही बर्बाद

28 जुलाई, 1976 में चीन के तांगशान शहर में आए एक महाविनाशकारी भूकंप में 2 लाख 55 हजार लोगों की जानें चली गई थी। यह चीन का औद्योगिक नगर था और इसकी आबादी उस वक्त 10 लाख के करीब थी। भूकंप की तीव्रता 7.6 से लेकर 8.2 तक मापी गई थी। कुछ रिपोर्ट तो इस भूकंप में 6 लाख लोगों के मरने का दावा भी करती हैं।

सुनामी का खौफनाक मंजर

साल 2004 में हिंद महासागर में आया भूकंप सुनामी बन गया और मौत का ऐसा तांडव मचाया, जिसकी डरावनी तस्वीरें आज भी जेहन में हैं। भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के तटीय क्षेत्र सबसे ज्यादा इस सुनामी में प्रभावित हुए। करीब 10 हजार लोग मारे गए और 5 हजार लापता हो गए थे। इंडियन नेवी की तरफ से लोगों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर ऑपरेशन चलाया गया था। नौसेना के 32 जहाज, 7 विमान, 20 हेलीकाप्टर 15 दिन तक लोगों की मदद करते रहे थे। करीब एक लाख लोगों की जान बचाई गई थी।

हैती की डरावनी तस्वीर

12 जनवरी, 2010 में हैती में महाविनाशकारी भूकंप की वजह से धरती ऐसी डोली कि हर किसी को झकझोर कर रख दिया। रिक्टर स्केल पर 7 की तीव्रता से आए इस भूकंप की वजह से 2 लाख 22 हजार 570 लोगों को अपनी जिंदगियां गंवानी पड़ी। एक लाख घर तबाह हो गए और 13 लाख लोगों को दूसरी जगह शिप्ट होना पड़ा। इस तबाही का असर आज भी देखने को मिलता है। हैती में आज भी पुर्नर्निमाण चल रहा है।

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