सार
बचपन में जब बच्चे बहुत ज़िद करते हैं तो माँ या पिता या दादा-दादी उन्हें कहानियाँ सुनाकर उनका ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। हालाँकि इस तरह बच्चों का ध्यान भटकाने के लिए अक्सर कहानियाँ सुनाई जाती हैं, लेकिन उन सभी में कुछ न कुछ सीख छिपी होती है। ऐसी बचपन की कहानियों की सीख उन बच्चों के विकास और सामाजिक संपर्क को बहुत प्रभावित करती है। वहीं, बड़े होने के बाद बचपन में सुनी उन कहानियों की असलियत जानने कोई नहीं जाता। लेकिन, चीन के कुछ बच्चों ने मिलकर अपनी सुनी हुई बचपन की कहानियों को परखा कि क्या वे सच हैं। उन्हें चौंकाते हुए वह बचपन की कहानी सच निकली।
बच्चों ने जिस कहानी को परखा वह कछुए और खरगोश की थी। दोनों के बीच हुई दौड़ में मेहनती कछुए की जीत की कहानी। बच्चों ने दो अलग-अलग रास्ते बनाकर कछुए और खरगोश को दौड़ाया। खरगोश थोड़ी देर दौड़ा और फिर वहीं थोड़ी देर रुका। कछुआ लगातार बिना रुके चलता रहा। दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ बच्चे और बड़े खरगोश को खूब प्रोत्साहित करते रहे लेकिन खरगोश अपनी आदत से मजबूर थोड़ी दूर दौड़कर कुछ देर रुका और फिर दौड़कर फिनिशिंग पॉइंट पर पहुँचा तो देखा कि कछुआ उसे पीछे छोड़ चुका था।
वीडियो में जीतने वाले कछुए के पक्ष के बच्चे खुशी से झूमते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि लगातार मेहनत से सफलता ज़रूर मिलती है, यह 'सफलता मंत्र' वास्तविक जीवन में भी सच है। बच्चों ने अपने इस प्रयोग का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया तो उसे तीन करोड़ चौवालीस लाख लोगों ने देखा। 14 लाख लोगों ने वीडियो को लाइक किया। वीडियो पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। "तो कहानियाँ सच होती हैं। आह दौड़ प्रतियोगिता' एक दर्शक ने लिखा। 'भविष्यवाणी जैसा एक रील' एक अन्य दर्शक ने लिखा। 'अब मुझे यह जानकर शांति से मरने को मिलेगा कि यह सच है' एक अन्य दर्शक ने लिखा। 'उस खरगोश ने अब तक अपने पूर्वज से सबक नहीं सीखा' एक दर्शक ने खरगोश को दोषी ठहराया।