सार
रंगा बिल्ला बेहद खूंखार अपराधी थे। दोनों तिहाड़ जेल में ही बंद थे। दोनों अपराधियों को फांसी की सजा दी गई थी। रंगा को फांसी दिए जाने के बाद भी दो घंटे तक जिंदा था।
ट्रेंडिंग। रंगा और बिल्ला बेहद खतरनाक अपराधी थे। इन दोनों अपराधियों ने 1978 में नौसेना के अधिकारी मदन चोपड़ा के बच्चों गीता और संजय का अपहरण कर लिया था। अपहरण करने के बाद दोनों की निर्मम हत्या कर दी गई। आरोरपियो ने गीता के साथ रेप भी किया था। उस समय गीता की उम्र 16 साल थी और संजय सिर्फ 14 वर्ष का था।
रंगा बिल्ला की दोस्ती ने अपराध का नया अध्याय लिखा
कुलजीत सिंह उर्फ रंगा एक ट्रक ड्राइवर था। ट्रक चलाने के काम से वह ऊब चुका था। ऐसे में कुछ और तरकीब से पैसै कमाने की सोची। एक परिचत के जरिेए उसकी मुलाकात जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला से हो गई। दोनों ने साथ काम करने की ठानी और यहां से उनके अपराध की कहानी शुरू हुई। दोनों पहले छोटी-मोटी चोरियां करते थे। फिर किडनैपिंग, फिरौती और फिर लूट की घटनाएं करने लगे।
नौसेना के अधिकारी के बच्चों को किया था किडनैप
रंगा-बिल्ला ने नौसेना के अधिकारी के बच्चों गीता और संजय का धोखे से अपहरण कर लिया था। दोनों को वह अपहरण कर साथ ले जा रहे थे। दोनों को जब वह अपहरण कर वे ले जा रहे थे तो संजय औऱ गीता को शक हो गया। संजय ने गाड़ी भीड़ वाले इलाके से गुजरते ही शोर मचाया लेकिन दोनों बदमाशों ने उसके सिर पर वार कर घायल कर दिया।
संजय की हत्या कर गीता का रेप
रंगा-बिल्ला ने गाड़ी को सूनसान इलाके में ले जाने के बाद संजय की निर्मम हत्या कर दी जबकि गीता के साथ पहले दोनों अपराधियों ने रेप किया। रेप के बाद दरिंदों ने गीता पर तलवार से कई वार कर उसकी निर्ममता से हत्या कर दी थी। फिर जंगल में फेंककर भाग गए।
दिल्ली से मुंबई भागते समय ट्रेन में गिरफ्तार
रंगा बिल्ला दिल्ली से मुंबई भाग रहे थे। इस दौरान दोनों को फौज के जवानों ने पहचान लिया और पुलिस को सूचना देकर दोनों आऱोपियों को गिरफ्तार करा दिया। दोनों को जघन्य अपराध के लिए कोर्ट ने फांसी दी।
फांसी के दो घंटे बाद भी रंगा था जिंदा
रंगा औऱ बिल्ला को फांसी देने के दो घंटे बाद जब डॉक्टरों ने चेक किया तो बिल्ला का दम निकल चुका था लेकिन रंगा की सांसें चल रही थीं। फांसी के दौरान शातिर रंगा ने अपनी सांसें रोक ली थी। हालांकि बाद में उसकी मौत हो गई। रंगा-बिल्ला की लाश लेने से उसके परिजनों ने भी इनकार कर दिया था।