सार

धर्म ग्रंथों में भगवान शिव की पूजा के लिए कई विशेष तिथियां बताई गई हैं। त्रयोदशी भी इनमें से एक है। इस दिन किए जाने वाले व्रत को प्रदोष कहते हैं। ये व्रत अलग-अलग वारों के साथ भिन्न-भिन्न योग बनाता है।

उज्जैन. इस बार 27 मई, शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने से ये शुक्र प्रदोष कहलाएगा।  इस दिन भगवान शिव की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है। जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में परेशानियां चल रही हों, इन्हें इस दिन शिव-पार्वती की पूजा संयुक्त रूप से करनी चाहिए। इससे इनका वैवाहिक जीवन सुखी हो सकता है। आगे जानिए शुक्र प्रदोष के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

शुक्र प्रदोष के शुभ मुहूर्त व योग
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मई, शुक्रवार की सुबह 11.48 तक रहेगा, जो 28 मई, शनिवार की दोपहर 01.09 तक रहेगी। चूंकि इस व्रत में पूजा शाम को करने का विधान है। इसलिए 27 मई को ही प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन सौभाग्य और शोभन नाम के 2 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। 27 मई को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07.12 से रात 09.14 मिनट तक रहेगा।

इस विधि से करें शुक्र प्रदोष व्रत
- शुक्रवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। शाम के ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर में जाकर या घर पर ही शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पूजा करें। 
- शिवलिंग का अभिषेक स्वच्छ जल से करें इसके बाद गाय के दूध से स्नान करवाएं। सफेद चंदन का लेप भी लगाएं। चावल, शमी का पत्ता, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, आदि चीजें अर्पित करें। 
- इस दौरान ऊं नमः शिवाय बोलते रहें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। घी का दीपक जलाएं और भोलेनाथ की आरती करें। इस प्रकार की शिवजी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
    
वैवाहिक सुख पाने के लिए ये उपाय करें
अगर पति-पत्नी में नहीं बनती और आए दिन विवाद होते रहते हैं तो शुक्र प्रदोष पर दोनों व्रत रखें और पूजा करें। इसके बाद किसी शिव-पार्वती के मंदिर में जाकर शिवजी को सफेद वस्त्र और देवी पार्वती को लाल चुनरी चढ़ाएं। इन इन दोनों कपड़ों का गठबंधन कर दें। इसके बाद सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें। इससे शुभ फल मिलते हैं।