सार

रामानंदी वैष्णव परंपरा के मुताबिक हर दिन रामलला की मंगला, श्रृंगार, भोग और शयन आरती के साथ बालभोग और राजभोग लगता है। रामलला का स्नान, श्रृंगार, चंदन, पुष्प आदि से अभिषेक होता है।

अयोध्या (उत्तर प्रदेश)। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। फैसले के 24 दिन बाद भी रामलला टेंट में ही विराजमान हैं। पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही पूजन हो रहा है। रोज एक हजार रुपए, भोग, आरती, पुष्प और श्रृंगार आदि पर खर्च होता है। रामलला के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास ने बताते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से नया ट्रस्ट बनाए जाने तक यह व्यवस्था चलेगी। कोर्ट ने ट्रस्ट बनाने के लिए सरकार को तीन महीने का समय दिया है।

इस परंपरा से होती है पूजा
रामलला के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास बताते हैं कि रामानंदी वैष्णव परंपरा के मुताबिक हर दिन रामलला की मंगला, श्रृंगार, भोग और शयन आरती के साथ बालभोग और राजभोग लगता है। रामलला का स्नान, श्रृंगार, चंदन, पुष्प आदि से अभिषेक होता है।

8 से 12 हजार लोग कर रहे रोज दर्शन
फैसले के बाद रामलला के दर्शन करने वालों की संख्या में मामूली बढ़त हुई है। प्रशासनिक अधिकारियों की माने तो औसतन 8 से 12 हजार लोग प्रति दिन रामलला के दर्शन पूजन कर रहे हैं। दो दिसंबर को 11,649 दर्शनार्थी पहुंचे थे।

लड्डू चढ़ाने पर करना होता है यह
सुरक्षा मानक पहले की तरह कड़े हैं। श्रद्धालु चढ़ावे के लिए पारदर्शी थैली में ऐसी सामग्री ले जा सकते हैं, जिसे सुरक्षा के लिहाज से इजाजत मिले। यदि कोई लड्डू चढ़ाना चाहता है तो उसे फोड़ना पड़ता है।

जल्द गठित होगा ट्रस्ट
रामलला विराजमान के वकील मदनमोहन पांडेय ने कहा कि जल्द ही ट्रस्ट गठित होगा। इस बड़े बदलाव में कानून का ध्यान रखना जरूरी है। मुस्लिम पक्ष की रिव्यू पिटीशन के मद्देनजर कानून का ध्यान रखना जरूरी है। ट्रस्ट के गठन और 67 एकड़ भूमि ट्रस्ट को सौंपे जाने के बाद हालात में तेजी से बदलाव होगा। ट्रस्ट का गठन ट्रस्ट एक्ट के तहत हो या संसद में कानून बनाकर, यह भी केंद्र सरकार को तय करना है।