सार
काशी में आठ अप्रैल को 17वां राष्ट्रीय ऑपरेशन की शुरुआत हुई जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से आए डॉक्टर्स ने बच्चों में दूरबीन ऑपरेशन विधि की जानकारी दी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शल्य चिकित्सा के 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरुआत हुई।
अनुज तिवारी
वाराणसी: बच्चों में दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने वाले शल्य चिकित्सकों का 17 वां राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार यानी आठ अप्रैल को बीएचयू के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में शुरू हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों में दूरबीन विधि से और रोबोट से होने वाले ऑपरेशन के नए आयाम के बारे में गहन चर्चा की। इस चर्चा में मुंबई से आए डॉक्टर रसिक शाह ने बच्चों में दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने के लिए आवश्यक उपकरणों के बारे में जानकारी दी। अहमदाबाद के डॉक्टर अमर शाह ने बच्चों के छोटे शरीर में दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी दी। चेन्नई के डॉक्टर श्रीपति ने बच्चों में रोबोट के ऑपरेशन से संबंधित नई चुनौतियों के बारे में अवगत कराया।
दूसरे सत्र में बच्चों में दूरबीन से मूत्र रोग संबंधित बीमारियों के बारे में गहन चर्चा हुई। जिसमें दिल्ली के डॉ विजय कुंदन ने दूरबीन विधि के ऑपरेशन के बारे में और एम्स दिल्ली के डॉक्टर मीनू बाजपेई ने नए पेशाब के रास्ते को बनाने के बारे में बताया। वाराणसी के डॉक्टर समीर त्रिवेदी ने पेशाब की थैली की कार्यप्रणाली से संबंधित गड़बड़ियों में बोटॉक्स इंजेक्शन के उपयोग के बारे में जानकारी दी।
तीसरे सत्र में लिवर और पित्त रोग से संबंधित बीमारियों पर चर्चा हुई जिसमें आगरा के डॉक्टर किशोर पंजवानी ने बच्चों में लिवर में बनने वाले सिस्ट के दूरबीन विधि से ऑपरेशन के बारे में बताया। चेन्नई से आए डॉ वेलमुरुगन ने बच्चों में अग्नाशय से संबंधित बीमारियों के दूरबीन से ऑपरेशन से संबंधित जानकारी दी। जबलपुर के डॉक्टर विकेश अग्रवाल ने बच्चों में मल द्वार से संबंधित जन्मजात बीमारियों के दूरबीन से ऑपरेशन की पद्धतियों के बारे में प्रकाश डाला।
छाती के ऑपरेशन में दूरबीन से संबंधित तकनीक पर चर्चा
इसके पश्चात जोधपुर की डॉक्टर कीर्ति कुमार ने बच्चों में ऑपरेशन के समय डाई के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी। दिल्ली से आई डॉक्टर शिल्पा शर्मा ने बच्चों में दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने से संबंधित वर्तमान में उपलब्ध दिशानिर्देशों की जानकारी दी। पुणे के डॉक्टर दसमीत सिंह ने बच्चों में दूरबीन के ऑपरेशन से संबंधित अन्य चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। अधिवेशन में बच्चों में छाती रोग से संबंधित दूरबीन से होने वाले ऑपरेशनों के बारे में भी चर्चा हुई। जिसमें प्रमुख तौर पर नागपुर के डॉक्टर राजेंद्र साव, चंडीगढ़ के डॉ रवि कनौजिया और बेंगलुरु के डॉक्टर रमेश ने भाग लिया। डॉ रवि कनौजिया ने चंडीगढ़ के बच्चों में खाने की नली का न बनने पर ऑपरेशन तथा उसकी जटिलताओं की जानकारी दी। डॉक्टर रमेश ने छाती के ऑपरेशन में दूरबीन के इस्तेमाल से संबंधित तकनीकों के बारे में विस्तार से चर्चा की।
बीएचयू के कई प्रोफेसर रहे मौजूद
कार्यक्रम के आखिरी सत्र में सभी विशेषज्ञों के साथ विभिन्न विषयों पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। उद्घाटन समारोह सायंकाल को किया गया। जिसमें बीचयू के कुलगुरु प्रोफेसर वी के शुक्ल मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम में मेडिसिन के डीन प्रोफेसर एस के सिंह, सर सुंदर लाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर के के गुप्ता तथा पेसी के समस्त पदाधिकारी प्रमुखता से उपस्थित रहे। स्वागत प्रोफेसर अजय नारायण गंगोपाध्याय ने किया। इस अवसर में प्रोफेसर वी के शुक्ल ने वर्तमान समय में ऑपरेशन में दूरबीन तथा रोबोट के इस्तेमाल की महत्ता के बारे में बताते हुए बच्चों में इसके इस्तेमाल की संभावनाओं पर बल दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ वैभव पाण्डेय ने दिया।
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