सार
आम आदमी पार्टी के नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रयागराज में दलित परिवार के 4 सदस्यों की हत्या का मामला उठाते हुए एक बार फिर योगी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार जातीय विद्वेष से काम कर रही है। इसके साथ ही संजय सिंह इस यूपी पुलिस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि योगी की पुलिस जाति देखकर तय करती है कि किसे न्याय दिलाना है और किसे दौड़ाना है।
लखनऊ: यूपी के प्रयागराज(prayagraj) में दलित परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या(murder) का मामला चौतरफा तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। जिसके चलते विपक्षी दलों की ओर से जवाबी हमला तेज हो गया है। शनिवार को आम आदमी पार्टी(Aam Aadmi Party) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह(sanjay singh) ने प्रेसवार्ता(press confrence) करते हुए एक बार फिर प्रयागराज के मामले को उठाकर बीजेपी(BJP) पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार(Yogi Government) में वंचित, शोषित समाज और गरीब तबके के खिलाफ दरिंदगी, हैवानियत और गुंडागर्दी की खुली छूट मिली है। 24 नवंबर को प्रयागराज के फाफामऊ में घटी घटना इसका ताजा प्रमाण है।
BJP के संविधान दिवस वाली नौटंकी के बीच हुई दलित परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या- संजय सिंह
प्रेसवार्ता के दौरान सांसद संजय सिंह ने कहा कि जब भाजपा पूरे देश में संविधान दिवस मनाने की नौटंकी कर रही थी, तब संविधान प्रदत्त सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार का गला घोंटते हुए एक दलित परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई। इसमें दंपति सहित उसका एक मूक-बधिर बेटा और नाबालिग बेटी भी शामिल है। बेटी की हत्या से पहले उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी हुआ। यह पूरी घटना योगी सरकार, प्रशासन और पुलिस की लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार जातीय विद्वेष से काम कर रही है।
'प्रयागराज का कांड हाथरस से भी भयानक'
आप प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि प्रयागराज का फाफामऊ कांड हाथरस से भी भयानक, भयावह और वीभत्स है। अफसोस की बात है कि अब तक मुख्यमंत्री या उनके किसी मंत्री ने पीड़ित परिवार से मिलना जरूरी नहीं समझा। दिवंगत परिवार के मुखिया के भाई फौजी हैं और देश की सेवा करते हैं। उनकी पत्नी भी इस घटना से डरी हुई हैं। उनका कहना है कि पति घर पर रहते नहीं हैं, ऐसे में उनके साथ भी ऐसी जघन्य वारदात हो सकती है। दरअसल, यह सरकार जातीय विद्वेष से काम कर रही है। उन्होंने यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी की पुलिस जाति देखकर तय करती है कि किसे न्याय दिलाना है और किसे दौड़ाना है। बलिया में जयप्रकाश की हत्या, हाथरस की बेटी का मामला, प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर, मनीष वर्मा हत्याकांड, इंद्रकांत त्रिपाठी का मर्डर, अरुण वाल्मीकि और जितेंद्र श्रीवास्तव की पुलिस हिरासत में मौत की घटनाएं गिनाते हुए संजय सिंंह ने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुकी है।
राष्ट्रपति से मुलाकात को मांगा समय
संजय सिंंह ने कहा कि यूपी में दलितों-वंचितों के संवैधानिक अधिकारों की हत्या का मामला उठाने के लिए राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अनुसूचित जाति के एक परिवार यह घटना हाथरस की घटना से वीभत्स है, पोस्टमार्टम में गैंगरेप की पुष्टि हुई है। यह उत्तर प्रदेश सरकार की घोर लापरवाही का परिणाम है। एक जाति विशेष का पक्ष लेने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 से लगातार कई शिकायतों के बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।