सार

योगी सरकार द्वारा संगम की रेती पर माघ मेले 2020 को मिनी कुम्भ का आकार देने की योजना संकट में घिरती दिख रही है। प्रशासनिक उदासीनता से अभी तक माघ मेले को तय योजना के अनुसार स्वरूप नहीं दिया जा सका है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते अभी तक कई संस्थाओं और अखाड़ों को जमीन भी एलाट नहीं की जा सकी है

प्रयागराज(Uttar Pradesh ).  योगी सरकार द्वारा संगम की रेती पर माघ मेले को मिनी कुम्भ का आकार देने की योजना संकट में घिरती दिख रही है। प्रशासनिक उदासीनता से अभी तक माघ मेले को तय योजना के अनुसार स्वरूप नहीं दिया जा सका है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते अभी तक कई संस्थाओं और अखाड़ों को जमीन भी एलाट नहीं की जा सकी है। यही नहीं कल्पवासियों के लिए तम्बुओं का शहर बसाने वाले कई पुरोहितों को जमीने नहीं एलॉट की जा सकी हैं। ऐसे में अधूरी तैयारियों के बीच माघ मेला शुरू होने के आसार दिखाई देने लगे हैं। 

संगम की रेती पर इस साल होने माघ मेले को भव्य स्वरूप देने के लिए योजना बनाने में सरकार द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गयी है। लेकिन प्रशासन इस योजना के तहत तय समय पर काम करने में सफल नहीं दिख रहा है। तमाम संस्थाओं व अखाड़ों को जमीने आवंटित करने में प्रशासनिक लापरवाही इस भव्यतम माघ मेले की तैयारियों को पलीता लगा रही है। 2500 बीघे में होने वाला माघ मेला अधूरी तैयारियों के बीच शुरू होने के कयास लगाए जाने लगे हैं। 

जमीन आवंटन न होने से बढ़ी परेशानी 
माघ मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन को लेकर विवाद बढ़ गया है। जमीन नहीं मिलने से नाराज संत हितकारिणी हृदय नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत अंबुज कुमार पांडेय ने बृहस्पतिवार से मेला प्रशासन कार्यालय के सामने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उनके साथ कथा वाचक विलोचना नंद, दूधनाथ शास्त्री,और स्वामी दीनानंद भी अनशन में शामिल हैं। महंत अंबुज का कहना था कि  वह कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है। पांच जनवरी को भूमि आवंटन की बात कही जा रही है, लेकिन कहां जमीन मिलेगी इस बारे में कोई भी बताने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने जमीन मिलने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की।

जमीन के लिए भटक रही संस्थाएं 
कटान तथा दलदल की वजह से प्रमुख मार्गों पर जमीन कम हो गई है। त्रिवेणी, काली, महावीर तथा अक्षयवट मार्ग पर यह गंभीर समस्या है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में संस्थाओं को दूसरे स्थान पर जमीन देने का निर्णय लिया गया है लेकिन इस बारे में सही जानकारी नहीं मिलने की वजह से संस्था के लोग भटकने के लिए मजबूर हैं। पूर्व में इन मार्गों पर बसने वाली संस्थाओं को सेक्टर पांच या अन्य स्थानाें पर भेजा जा रहा है। इसके विपरीत संबंधित सेक्टर प्रभारियों को इसकी कोई सूचना नहीं है। ऐसे में विवाद बढ़ने के साथ लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है।

मेला प्रभारी बोले 5 जनवरी तक हो जाएगा जमीनों का एलॉटमेंट
माघ मेला प्रभारी रजनीश मिश्रा से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि गंगा में कटान के कारण कई संस्थाओं को दूसरे स्थान पर जमीने दी जा रही हैं। उसका एलॉटमेंट चल रहा है। कुछ नई संस्थाएं भी इस बार जमीन के लिए आई हैं, उन्हें पुरानी संस्थाओं के एलॉटमेंट के बाद जमीनों की उपलब्धता के आधार पर जमीन देने के लिए कहा गया है।