सार
यूपी चुनाव रिजल्ट सामने आने के बाद बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली है। इस जीत के पीछे बीजेपी नेताओं की मेहनत और बेहतर प्रबंधन को बताया जा रहा है। नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक हर समय पर बीजेपी नेताओं की मेहनत का ही परिणाम है जो बीजेपी को इतनी अधिक सीटें मिली हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी ने एक बार फिर से ऐतिहासिक जीत हासिल की है। किसान आंदोलन और कोरोना संकट के बाद इस चुनाव को बीजेपी के लिए आसान नहीं माना जा रहा था। हालांकि परिणाम चौंकाने वाले हैं। लोग इसे पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का परिणाम बता रहे हैं। चुनावी पोल के दौरान ही बीजेपी की बढ़त सामने आ रही थी। हालांकि उस दौरान सपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिख इस पर रोक लगाने की मांग की थी। जिसके बाद एग्जिट पोल में भी बीजेपी की बढ़त को लेकर कुछ ऐसे ही आंकड़े देखने को मिली। अब चुनावी परिणाम में भी बीजेपी ने जीत हासिल कर तमाम पोल पर मुहर लगा दी है। चुनाव के दौरान भी योगी राज की वापसी के संकेत दिए जा रहे थे। अब चुनावी परिणाम ने उस पर ही मुहर लगाने का काम किया है।
खूब चला मोदी-अमित शाह का जादू
यूपी के चुनाव में एक बार फिर मोदी और अमित शाह की जोड़ी का जादू देखने को मिला। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी में ज्यादा से ज्यादा जनसभाएं कर हर जिलों को साधने का प्रयास किया। समयाभाव के चलते एक साथ कई विधानसभा सीटों की जनसभाओं को संबोधित किया गया।
सीएम योगी के चेहरे का भी मिला लाभ
बीजेपी पूर्व में विधानसभा चुनाव बिना सीएम चेहरा घोषित किए लड़ती थी। लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर चुनाव लड़ा गया। इसका फायदा भी देखने को मिला। जनता ने एकजुट होकर सीएम योगी के चेहरे पर मतदान किया।
सोशल मीडिया का बेहतर इस्तेमाल
कोरोना के चलते जब बड़ी रैली और जनसभाओं पर प्रतिबंध था तब भी बीजेपी ने डिजिटल प्रचार का खूब इस्तेमाल किया। पीएम मोदी और अमित शाह की बातों को जनता तक पहुंचाया के लिए जन चौपाल और अन्य कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण किया गया। ऐप और सोशल साइट्स की लाइव स्ट्रीमिंग का भी इस्तेमाल किया गया।
5 साल की उपलब्धियों के बखान का मिला फायदा
चुनावी सभाओं ने भाजपा ने 5 साल की उपलब्धियों का जमकर बखान किया। 5 साल के कार्यों से ही जनता को प्रभावित करने का बीजेपी का प्रयास भी सफल होता दिखाई दिया। बीजेपी ने चुनाव के दौरान फ्री राशन और बिजली के मुद्दे को लेकर जमकर प्रचार किया। जीत के बाद कहा जा रहा है कि लोगों ने उसका कर्ज उतार दिया है।
राष्ट्रवाद के कारण मिली जीत
पूर्व के चुनावों की तरह ही यूपी चुनाव 2022 में भी बीजेपी के जीत के पीछे का कारण राष्ट्रवाद का मुद्दा बताया जा रहा है। बीजेपी ने चुनाव में जमकर राष्ट्रवाद के मुद्दे को सामने रखा था। जिसके बाद जनता ने एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में मतदान किया।
कारगर साबित हुई चाणक्य की नीति
बीजेपी चुनाव भले ही सीएम योगी के नाम पर चुनाव लड़ रही हो लेकिन यह सभी को पता है कि पर्दे के पीछे सभी योजनाएं बीजेपी के चाणक्य ही बना रहे थे। अमित शाह की बेहतर रणनीति चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने में सबसे अहम साबित हुईं।
हिजाब विवाद से भी मिली हवा
यूपी चुनाव के दौरान बीजेपी को हिजाब विवाद से भी फायदा मिला। कर्नाटक से शुरु हुए हिजाब विवाद को जमकर यूपी चुनाव के दौरान तूल मिला। कुछ लोगों ने हिजाब को जायज को कुछ ने स्कूल में इसकी अनिवार्यता से इंकार किया। बीजेपी के नेताओं ने भी इसपर खुलकर बयान रखें। जिसका फायदा बीजेपी को मतदान के दौरान मिला।
महिला सुरक्षा और माफियाओं पर लगाम पर लोगों ने किया भरोसा
बीजेपी ने चुनाव में महिला सुरक्षा और माफियाओं पर लगाम को लेकर खूब वादा किया। बीजेपी ने यह भी कहा कि पूर्व की तरह ही चुनाव के बाद यदि विपक्षी जीत हासिल करते हैं तो प्रदेश में एक बार फिर माफियाओं का राज होगा। लोगों ने बीजेपी के वादों पर भरोसा किया और फिर से मौका दिया।
गठबंधन पर लोगों ने नहीं किया भरोसा
राजनीतिक जानकार कहते हैं समाजवादी पार्टी ने अगर बिना गठबंधन के चुनाव लड़ा होता तो वह और भी सीटें निकालने में कामयाब रहती। लेकिन गठबंधन के चलते कई सीटों पर सपा के अपनों की नाराजगी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो गई।
फ्री राशन और किसान सम्मान निधि
यूपी चुनाव में जीत के लिए बीजेपी नेताओं ने लगभग सभी सभाओं से मुफ्त राशन की डबल डोज और किसान सम्मान निधि का जिक्र किया। इसका फायदा बीजेपी को मिला। बीजेपी ने कहीं न कहीं जनता को यह समझाने का प्रयास किया कि यदि सत्ता परिवर्तन होता है तो फ्री राशन और किसान सम्मान निधि का लाभ लोगों को नहीं मिल पाएगा। यह बात जनता के जहन में बैठ गई और लोगों ने एकजुट होकर बीजेपी के पक्ष में मतदान किया।
बेहतर प्रत्याशियों का चयन
बीजेपी की जीत के पीछे का सबसे बड़ा कारण है कि पार्टी ने बेहतर प्रत्याशियों का चयन किया। पार्टी ने मंत्री बनाए गए लोगों तक का टिकट काटने में भी गुरेज नहीं किया। पार्टी ने ज्यादातर उन लोगों को टिकट दिया जो जनता के बीच लोकप्रिय रहें। इसको लेकर कुछ नाराज नेताओं ने जब पार्टी से किनारा करना शुरु किया तब भी भाजपा ने कोई बदलाव नहीं किया।
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