सार

राजधानी के ठाकुरगंज इलाके में कुत्तों के हमले से मासूम की मौत हो गई। इस पर पहले मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया तो वहीं अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सीएमओ को निर्देश दिया है कि मौत से जूझ रही बच्ची को निश्शुल्क चिकित्सा दी जाए।

लखनऊ: राजधानी के ठाकुरगंज  के मुसाहिबगंज में बुधवार की शाम को कुत्तों ने दो बच्चों पर हमला कर दिया था। जिसमें एक बच्‍चें की मौत हो गई। इस घटना के बाद मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इस इलाके में आवारा कुत्तों के हमले में पांच साल के बच्चे की मौत व उसकी बहन के गंभीर रूप से घायल होने पर सरकार, नगर आयुक्त व जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सीएमओ को निर्देश दिया है कि अस्पताल में मौत की लड़ाई से जूझ रही बच्ची को निशुल्क इलाज दिया जाए।

आदेश में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होगी बर्दाशत
हाई कोर्ट ने केजीएमयू के वीसी से कहा है कि वह बच्ची के इलाज का खुद सुपरविजन करें। कोर्ट ने मामले की अगली सुनावई 19 अप्रैल को तय की है। ठाकुरगंज इलाके में हुई बच्ची की मौत पर कोर्ट ने यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्यय व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने अखबारों में छपी खबरों का स्वत: संज्ञान लेकर पारित किया। कार्ट ने कहा है कि इससे दर्दनाक घटना और क्या हो सकती है, जिसमें मासूम की जान गई और उसकी बहन अपने जीवन से लड़ रही है। कोर्ट के अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने कहा कि वह तत्काल सरकार न अन्य विभागों को अदालत की संजीदगी के बारे में अवगत कराए। साथ ही यह भी पता कर कोर्ट को बताएं कि घटना में जान गंवाने वाले बच्चे के माता पिता की सरकारी स्तर पर क्या आर्थिक मदद की जा सकती है। इस आदेश पर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि कोर्ट ने पहले भी कुत्तों को लेकर आदेश दिए थे जो पूरे नहीं हुए। इस बार किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाशत नहीं की जाएगी। 

यूपी मानवाधिकार आयोग ने भी लिया संज्ञान
इससे पहले उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया है। आयोग ने इसको काफी गंभीर बताते हुए कहा था कि इस पर ठोस कदम जरूर उठाए जाए। राज्य के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बालकृष्ण नारायण ने इस मामले में नगर आयुक्त अजय त्रिवेदी को सात अप्रैल को ही नोटिस जारी कर दी है। इस हादसे को काफी गंभीर बताते हुए लिखा कि कुत्तों के आतंक की शिकायतें स्थानीय निवासियों ने नगर निगम से कई बार की। इसके बावजूद उसने कोई सुनवाई नहीं की। आयोग ने यह भी लिखा है कि कुछ साल पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक याचिका पर आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नाराजगी जताई थी। उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

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