सार

चाचा शिवपाल यादव को साथ लाने के बाद अखिलेश यादव यादवलैंड में सियासी जमीन को मजबूत कर रहे हैं। वह अपना काफी समय प्रचार में लगा रहे हैं। वह परिवार और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर लोगों से सीधा जुड़ रहे हैं। 

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब सियासी कदम फूंक-फूंककर रख रहे हैं। चाचा शिवपाल को साथ लाने के बाद अब नए सिरे से सियासी जमीन तैयार की जा रही है। इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, औरैया और कन्नौज को फोकस कर रणनीति तैयार की जा रही है। यहां के हर युवा को पार्टी से जोड़ने और आगे के कार्यक्रमों की रणनीति तैयार की जा रही है। सियासी नजरिए से भी इसे काफी अहम माना जा रहा है। अभी तक इस यादवलैंड को मुलायम सिंह यादव का समर्थक ही माना जाता था। हालांकि इसके बाद अब यहां शिवपाल यादव पकड़ को मजबूत कर रहे हैं।

घर-घर जाकर लोगों से की जा रही मुलाकात
मुलायम का गढ़ कहे जाने वाले इस यादवलैंड में भाजपा लगातार भगवा ध्वज फहराने की कोशिश करती रही है। बीते चुनावों में सपा से नाराज तमाम नेताओं ने पार्टी से किनारा करने के बाद भाजपा की सदस्यता ले ली। इसके बाद भाजपा को उन नेताओं की वजह से काफी फायदा भी हुआ। लेकिन मुलायम के निधन के बाद शिवपाल यादव भतीजे के साथ उन तमाम पहलुओं पर विचार कर संगठन को फिर से खड़ा कर रहे हैं। राग द्वेष भुलाकर तमाम नेताओं की पार्टी में वापसी हो रही है। उपचुनाव में भी नेताओं के दूर रहकर प्रचार करने की परंपरा को समाप्त कर घर-घर जाकर लोगों से संपर्क किया गया। 

यादवलैंड को पर्याप्त समय दे रहे अखिलेश 
जिन जगहों पर पार्टी और परिवार के अन्य सदस्यों की मजबूत पकड़ थी वहां भी अखिलेश यादव खुद जाकर जनता से सीधा संबंध बना रहे हैं। अखिलेश यादव सभी से खुद को जोड़ने के अभियान में लगे हुए हैं। सियासी जानकार भी कह रहे हैं कि ऐसा पहली बार है जब अखिलेश यादव इतना ज्यादा वक्त यादवलैंड को दे रहे हैं। जानकार कहते हैं कि मौजूदा समय अखिलेश यादव के लिए काफी उचित है। परिवार में इस समय कोई भी ऐसा सदस्य नहीं है जो उनके खिलाफ हो। चाचा शिवपाल, प्रो रामगोपाल समेत तमाम दिग्गज नेता उनके साथ में है। सभी उन्हें उत्तराधिकारी मान रहे हैं। लिहाजा अखिलेश भी अब यादवलैंड में मुलायम के बाद अपनी पहचान को स्थापित करने में जुटे हुए हैं। 

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