सार

पूर्व विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट ने बाहुबली बसपा विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है।

लखनऊ. पूर्व विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट ने बाहुबली बसपा विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया, उनमें संजीव माहेश्वरी, एजाजुल हक, मुख्तार अंसारी के भाई व गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी, राकेश पांडेय, रामु मल्लाह, मंसूर अंसारी और मुन्ना बजरंगी शामिल हैं। हालांकि मुन्ना बजरंगी की मौत हो चुकी है। 

आरोप था कि, कृष्णानन्द राय हत्या मामले में माफिया अंसारी बंधु का हाथ था। यह भी कहा गया था कि मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानन्द राय पर एके-47 से 400 गोलियां दागी थीं। उस समय इस हत्याकांड ने पूरे पूर्वांचल को दहला कर रख दिया था। आरोप यह भी था कि 90 के दशक के आखिर में पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते भाजपा के विधायक कृष्णानन्द राय उनके लिए चुनौती बनने लगे थे। 

कहा तो ये भी जाता है कि कृष्णानन्द राय और मुख्तार अंसारी के दुश्मन माफिया डॉन बृजेश सिंह काफी करीबी थे। कृष्णानन्द राय की अगुवाई में बृजेश तेजी से अपना गैंग की ताकत बढ़ा रहा था। मुख्तार अंसारी धीरे धीरे कृष्णानन्द राय को बड़ी चुनौती मानने लगा। इसीके बाद उसने कृष्णानन्द राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी थी। 

मारे गए सात लोगों के शरीर से मिली थीं 67 गोलियां


29 नवंबर 2005 की शाम भांवरकोल क्षेत्र के बसनिया पुलिया के पास अपराधियों ने स्वचालित हथियारों से भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय व उनके छह साथियों मोहम्दाबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्यामाशंकर राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव व उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय की हत्या कर दी। मारे गए 7 लोगो के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई। यही नहीं मुखबिरी इतनी सटीक थी कि अपराधियों को पता था कि कृष्णानन्द राय अपनी बुलेट प्रूफ वाहन में नहीं है।

राजनाथ सिंह ने हत्याकांड के विरोध में दिया था धरना


वर्तमान में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस वक्त कृष्णानंद राय हत्याकांड के विरोध में चंदौली में धरना दिया था। इसके बाद इस मामले को सीबीआई को सौंपा गया था। सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था। मुख्तार मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। 2005 में मऊ में भड़की हिंसा में मुख्तार का नाम सामने आया था। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। तब से वह जेल में हैं। भाजपा विधायक के हत्याकांड के एक अन्य आरोपी मुन्ना बजरंगी की पिछले साल नौ जुलाई की सुबह बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।