सार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समर में जहां एक ओर सभी पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं वहीं दूसरी ओर इस बार के चुनाव में राजनीतिक पार्टियां विरोधियों पर हमला बोलने के लिए सुरों का संग्राम छेड़ रही हैं।

दिव्या गौरव
लखनऊ: 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर पहली बार वर्चुअल रैलियों के माध्यम से चुनाव प्रचार हो रहा है, वहीं इसबार के चुनाव में राजनीतिक दलों में सुरों का संग्राम भी देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में विभिन्न दल अपनी-अपनी नीतियों के प्रचार के प्रचार के साथ विरोधियों पर हमला बोलने के लिए संगीत का सहारा ले रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के साथ ही आम आदमी पार्टी समेत कई क्षेत्रीय दलों ने भी यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अपना थीम सॉन्ग जारी कर दिया है। वैसे, चुनाव प्रचार में गीतों की मदद अक्सर ली जाती है, मगर कोविड-19 महामारी के दौरान वर्चुअल हुए चुनाव प्रचार में इन गीतों के जरिए मतदाताओं के जहन में बस जाने की मानो होड़ लग गई है। गीत-संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग मानते हैं कि इनमें सबसे बढ़िया गीत कांग्रेस के हैं, हालांकि इन गीतों का चुनावी नतीजों पर कुछ असर पड़ेगा, इसे लेकर संशय है।
 
सूबे की सत्ता पर काबिज भाजपा के चुनावी गीतों में पार्टी की हिंदुत्ववादी गौरव गाथा के साथ योगी सरकार के विकास कार्यों का जिक्र है। भाजपा के सांसद और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन और मनोज तिवारी इन गीतों पर काम कर रहे हैं। कुछ गीत सामने आ चुके हैं। इनमें 'डमरु जब बजेगा तो देखना नजारा क्या होगा', 'यूपी में सब बा' और 'यूपी फिर मांगे भाजपा सरकार' प्रमुख हैं। इसके अलावा 'जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे', और 'मंदिर बनने लगा है, भगवा रंग चढ़ने लगा है' जैसे गीत पार्टी की हिंदुत्ववादी छवि और एजेंडा को लोगों के दिल-ओ-दिमाग में बसाने की कोशिश कर रहे हैं।

पुराने कामों को दिखा रहे अखिलेश
वहीं बात करें मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की, तो वह भी चुनावी रण में संगीत का तड़का लगाने की कोशिशों में जुटी है। 'हुंकारा', 'जनता पुकारती है' और 'जय-जय समाजवाद' जैसे गीतों से जनता को सीधे तौर पर पार्टी के समाजवाद से जोड़ने की कोशिश हो रही है। इन चुनावी गीतों में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार द्वारा किए गए कामों के बखान के साथ-साथ दोबारा सत्ता में आने पर सभी वर्गों की समस्याएं दूर करने की उम्मीद जगाने की कोशिश की गई है।

कांग्रेस के गीतों में महिलाओं पर फोकस
हालांकि बात करें कांग्रेस की तो गीत-संगीत से जुड़े लोग पार्टी के थीम सॉन्ग्स को सबसे प्रभावी मानते हैं। संगीत के क्षेत्र से जुड़ीं लखनऊ की एक छात्रा अंकिता ने कहा कि मंत्रों का इस्तेमाल शानदार संगीत के साथ पहली बार कोई पार्टी कर रही है। खास बात यह है कि इस बारे में अधिकतम लोगों का यही मानना था लेकिन उनमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग कांग्रेस को वोट देने के सवाल पर असमंजस में नजर आए। आपको बता दें कि मुख्य रूप से महिलाओं को राजनीति की मुख्यधारा में लाने के वादे पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस का थीम सॉन्ग 'बहन प्रियंका करें आह्वान, मिलकर आगे बढ़ सकती हूं, लड़की हूं मैं, लड़ सकती हूं', भी महिलाओं के इर्द-गिर्द ही घूमता है। क्षेत्रीय स्तर पर भी पार्टी के कई गीत गूंज रहे हैं।

गीत में आप ने याद दिलाए प्रमुख वादें
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहली बार ताल ठोंक रही आम आदमी पार्टी ने भी अपना गीत जारी कर दिया है। इसके बोल हैं- 'राजनीति को बदलने आप आया है, पहली पहली बार झाड़ू छाप आया है।' यह गीत आप की बिहार इकाई के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष लोकेश ने तैयार किया है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के मुताबिक, 'पार्टी के इस 'कैंपेन सॉन्ग' में मुफ्त बिजली, शिक्षा, बेरोजगारी भत्ता और माताओं तथा बहनों को एक-एक हजार रुपये प्रति माह देने के वादे की बात की गई है।' उन्होंने बताया कि हर विधानसभा में पार्टी ने न्यूनतम 20 टीमें बनाई हैं। पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर कैंपेन सॉन्ग के साथ प्रचार करेंगे।

गीतों के माध्यम से नेगेटिव प्रचार भी
एक ओर जहां राजनीतिक दल थीम सॉन्ग का इस्तेमाल प्रचार के लिए कर रहे हैं, वहीं गीतों के माध्यम से विपक्षी दल का नेगेटिव प्रचार भी किया जा रहा है। भाजपा के समर्थक जहां गीतों के जरिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को निशाने पर ले रहे हैं, वहीं सपा-कांग्रेस योगी सरकार की नीतियों पर गीतों का इस्तेमाल करके सवाल खड़ा कर रहे हैं। हाल ही में आम आदमी पार्टी ने भाजपा के गीत के बोल पर ही वीडियो फुटेज बदलकर कोरोना काल की तस्वीरों और फुटेज का इस्तेमाल किया है।

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