सार

कोरोना के कहर के बीच जिस तरह से चुनाव आयोग ने ऑनलाइन प्रचार और वर्चुअल रैली का माहौल बनाया है, उसे देखते हुए राजनीतिक दल और नेता वॉर रूम के माध्यम से वर्चुअल चुनावी जंग लड़ रहे हैं।

दिव्या गौरव
लखनऊ

देश की राजनीति की दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Vidhansabha Chunav) में चुनावी माहौल इसबार कोरोना वायरस (Coronavirus in UP) की तीसरी लहर के चलते कुछ हल्का है। कोरोना के कहर के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव में वर्चुअल माध्यमों से चुनाव प्रचार करने की अनिवार्यता के कारण राजनीतिक पार्टियों (Political Parties Online Campaign) के टेक्निकल प्लान की भी परीक्षा हो रही है। इन सबके बीच यूपी में सोशल मीडिया (Election campaigning On Social Media) सबसे प्रभावी हथियार बनकर उभरा है। सत्ता की कुर्सी का ख्वाब देख रहे नेता बाकायदा वॉर रूम बनाकर चुनावी रण को जीतने की तैयारी में जुटे हैं।

नेताओं के अलावा भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party), आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party), समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) ने इन्फॉरमेशन टेक्नॉलजी की अहमियत को समझते हुए अपने पार्टी मुख्यालयों पर बाकायदा वॉर रूम बना रखे हैं। इनमें तकनीक और राजनीति के जानकारों की काफी ट्रेंड टीमें मौजूद है। इनकी मदद से वॉट्सऐप, फेसबुक, कू, यूट्यूब और इंस्टाग्राम के माध्यम से बूथ स्तर तक के वोटर्स को साधने की तैयारी चल रही है। मतदाताओं को रुझाने और उनके दिल-ओ-दिमाग पर कब्जा करने की रणनीति पर राजनीतिक दल काफी सलीके से काम चल रहा है।

बाकी दलों से बहुत आगे है BJP
चुनावी दौर में राजनीतिक दलों के बीच चल रहे डिजिटल वॉर में किस पार्टी की हालत कैसी है, इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक भाजपा को बाकी दलों से आगे मानते हैं। राजनीतिक विश्लेषक कमलेश श्रीवास्तव कहते हैं कि सोशल मीडिया पर भाजपा 2012 से ही लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया था कि डिजिटल लड़ाई में भाजपा फिलहाल काफी आगे है। सपा अध्यक्ष की ईमानदार स्वीकारोक्ति से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के टाइम से ही जिस तरह का डिजिटल प्रचार शुरू किया था, उसका कितना बड़ा फायदा आज मिल रहा है।'

'बीजेपी ने काफी प्रोफेशनली किया सोशल मीडिया का इस्तेमाल'
कमलेश कहते हैं कि हालांकि लगभग हर पार्टी बीते दो सालों से वर्चुअल मीटिंग वगैरह कर रही है। 2015 के बाद से बाकायदा पीआर टीमें सोशल मीडिया के लिए अलग से पैकेज दे रही हैं। फेसबुक,यू ट्यूब और वॉट्सऐप के जरिए कार्यकर्ताओं से जुड़ने की कोशिश हो रही है। लेकिन बाकी दलों के मुकाबले भाजपा ने इस काम को काफी प्रफेशनली किया है।

यूं काम करते हैं आईटी एक्सपर्ट्स
Y2K मीडिया ग्रुप से जुड़े आईटी एक्सपर्ट विवेक जायसवाल के अनुसार मौजूदा इस बार के विधानसभा चुनाव में फेसबुक लाइव, यू ट्यूब, इंस्टाग्राम, कू और वॉट्सऐप किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में हवा बना सकते हैं। भाजपा, आप, सपा और कांग्रेस ने बाकायदा अपने डिजिटल वॉर रूम बना रखे हैं, जहां उनकी आईटी सेल पार्टी के प्रचार में लगी हुई है। इसके अलावा कई छोटे राजनीतिक दलों ने पीआर एजेंसियों से पार्ट टाइम सर्विस भी ले रखी है। विवेक के मुताबिक, पीआर एजेंसियां न सिर्फ यू ट्यूब लाइव के लिए जरूरी न्यूनतम एक हजार सब्सक्राइबर बनाने में सहयोग करती हैं, बल्कि नेताओं की आम जनता के बीच पहुंच भी स्थापित करती हैं।

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