सार

बरेली मंडल कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। इस मंडल के जिले शाहजहांपुर के पूर्व सांसद जितेंद्र प्रसाद बाबा साहब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जमाने में कांग्रेस के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर रहे। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे। बाद में सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी लड़े। बाद में उनके बेटे जितिन प्रसाद ने पिता की राजनीतिक विरासत संभालकर बरेली मंडल में कांग्रेस का किला स्थापित किए रखा। 

राजीव शर्मा
बरेली:
कुंवर आरपीएन सिंह से पहले जितिन प्रसाद भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं। शाहजहांपुर के जितिन पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। उनके बाद अब बरेली के पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने भी अपनी पूर्व मेयर पत्नी सुप्रिया ऐरन के साथ कांग्रेस को अलविदा बोल दिया। ऐरन दंपति के जाने से बरेली मंडल में कांग्रेस का एक मात्र बचा मजबूत किला भी ढह गया है।

क्या रहा बरेली मंडल में कांग्रेस का इतिहास
बरेली मंडल कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। इस मंडल के जिले शाहजहांपुर के पूर्व सांसद जितेंद्र प्रसाद बाबा साहब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जमाने में कांग्रेस के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर रहे। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे। बाद में सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी लड़े। बाद में उनके बेटे जितिन प्रसाद ने पिता की राजनीतिक विरासत संभालकर बरेली मंडल में कांग्रेस का किला स्थापित किए रखा। जितिन न सिर्फ शाहजहांपुर से सांसद रहे, बाद में लखीमपुर खीरी जिले की धौरहरा सीट से भी सांसद बने लेकिन प्रियंका गांधी ने जब यूपी में कांग्रेस का प्रभार संभाला तो खुद की उपेक्षा से खफा जितिन प्रसाद ने करीब छह महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। उनके जाने से कांग्रेस को बरेली मंडल में सबसे बड़ा झटका लगा था। उनसे पहले बरेली मंडल के ही बदायूं जिले के पूर्व सांसद सलीम शेरवानी भी कांग्रेस छोड़ ही चुके थे। अब बरेली जिले में कांग्रेस का रहा-बचा किला पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने समाजवादी पार्टी में जाकर ढहा दिया है।

प्रदेश के पूर्व मंत्री प्रवीण ऐरन उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए जाते रहे। पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में भी रहे। उन्होंने बरेली में लगभग तीन दशक में कांग्रेस का झंडा बुलंद किए रखा। तीन दशक बाद कांग्रेस को 2009 में बरेली लोकसभा सीट दिलाई। स्थिति यह बन गई थी कि बरेली में कांग्रेस का वर्चस्व ऐरन से ही रह गया था। कांग्रेस की लहर न होने के बावजूद उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के तौर पर अपनी पत्नी सुप्रिया ऐरन को मेयर का चुनाव भी जितवा दिया लेकिन इस विधानसभा चुनाव में प्रवीण सिंह ऐरन पत्नी सुप्रिया ऐरन के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। जबकि इससे पहले सुप्रिया को कांग्रेस बरेली कैंट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था। अब वह सपा की प्रत्याशी हैं। ऐसे में, उनके जाने से बरेली में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। जिले के कांग्रेसियों में भी उत्साह खत्म हो गया है। बता दें कि बरेली मंडल के चौथे जिले पीलीभीत में कांग्रेस पहले से ही कमजोर हो चुकी है। इस जिले में लंबे समय तक पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे सुधीर तिवारी कुछ महीने पहले सपा में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने भी तीन दशक से ज्यादा वक्त था पीलीभीत में कांग्रेस का झंडा उठाए रखा था। कुल मिलाकर अब कांग्रेस को बरेली मंडल में खुद को मजबूत करने के लिए मजबूत चेहरों को साथ लाना आसान नहीं होगा।