सार


जसवंतनगर विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के लिए परंपरागत सीट कही जाती है। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने इसी सीट से अपना पहला चुनावी दांव खेला था और जीत हासिल करके विधानसभा तक पहुंचे थे। लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी मौजूदा चुनाव में इस मिथक को तोड़ने में सफल होगी।

दिव्या गौरव
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को देश के राजनीति फलक में स्थापित कराने वाली जसवंतनगर विधानसभा सीट सपा का ऐसा अभेद्य दुर्ग है जिसमें करीब चार दशक से सेंधमारी की हर दल की कोशिश अब तक लगभग नाकाम साबित हुई है। हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के नेताओं का दावा है कि उनकी पार्टी मौजूदा चुनाव में इस मिथक को तोड़ने में सफल होगी।

जसवंतनगर को यादव के परिवार की परंपरागत सीट भी कहा जाता है। 1967 में इसी सीट से पहली दफा मुलायम सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल कर विधानसभा तक पहुंचे थे और उसके बाद छह बार इस सीट से चुनाव जीत चुके है फिलहाल इस सीट से उनके छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं। शिवपाल 1996 से यहां अब तक अपराजेय रहे हैं और छठी बार सपा के चुनाव चिह्न पर फिर चुनावी रणक्षेत्र में किस्मत आजमा रहे हैं। प्रसपा प्रमुख के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विवेक शाक्य और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने वीपी सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों पहली बार चुनाव मैदान मे उतरे हैं।

1985 से लगातार मुलायम परिवार के कब्जे में जसवंतनगर
2017 में जब सपा को पूरे प्रदेश में सपा को 47 सीटें मिली थीं तब भी शिवपाल सिंह यादव को यहां से अच्छी जीत मिली थी, हालांकि 2017 के बाद श्री शिवपाल सिंह यादव सपा से अलग हो गए थे। उन्होंने अलग पार्टी बनाई, लेकिन इस बार वह सपा के चुनाव चिह्न पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। दिलचस्प है कि 1967 के बाद से इस सीट पर विधायक सिर्फ 'यादव' को चुना गया। 1967 में पहली बार मुलायम सिंह यादव यहां से विधायक चुने गए थे। हालांकि 1969 में मुलायम सिंह यादव कांग्रेस के विशम्भर सिंह यादव से हार गए थे, लेकिन 1974 के चुनाव में मुलायम ने विशम्भर यादव को हरा दिया था। इसके बाद 1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल के टिकट पर उतरे श्री मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते। 1980 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने मुलायम को हरा दिया। इसके बाद 1985 में मुलायम सिंह यादव ने फिर जीत दर्ज की और फिर कभी नहीं हारे।

BJP छोड़ SP में गए मनीष यादव, शिवपाल को होगा फायदा?
2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा के मनीष यादव को 52616 वोट से शिकस्त दी थी जबकि 2012 में भी इस सीट पर बसपा के मनीष यादव को हराकर शिवपाल यादव ने जीत दर्ज की थी लेकिन अब मनीष यादव भाजपा छोड़कर सपा मे शामिल हो गए हैं इसका भी फायदा समाजवादी पार्टी के गठबंधन उम्मीदवार शिवपाल सिंह यादव को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जसवंतनगर विधानसभा की सबसे अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में है और क्षेत्रफल में भी सर्वाधिक है क्योंकि सैफई तहसील का क्षेत्र और ताखा तहसील का क्षेत्र भी इसी विधानसभा में लगता है।

कुछ ऐसा है जसवंतनगर का जातीय गणित
ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक दृष्टिकोण से ब्राह्मण, ठाकुर कम संख्या में हैं वहीं पिछड़े वर्ग में यादव, लोधी, शाक्य, पाल, राजपूत, निषाद, मल्लाह, बाथम, कहार, सविता, अनुसूचित समाज में जाटव, कोरी, धानुक समाज के सर्वाधिक लोग निवास करते हैं और यही लोग चुनाव में वोट करके अपना प्रत्याशी चुनते हैं। सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण से पिछड़ा वर्ग का समाज जिस ओर जाता है, यहां उसी की जीत होती है । जसवंतनगर विधानसभा सर्वाधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है इसलिए कस्बे में पहले की तरह कोई विशेष व्यापार नहीं हैं और यही इस इलाके की प्रमुख समस्या है।

जसवंतनगर
आगरा-कानपुर हाईवे पर जसवंतनगर के कस्बा होने की वजह से वहां पहुंचना आना-जाना आसान है। जसवंतनगर की प्रसिद्ध रामलीला जो पूरे विश्व में विशेष स्थान रखती है। यूनेस्को के द्वारा भी उसको धरोहर का दर्जा दिया गया है। इस विधानसभा में जसवंतनगर के नाम का एक रेलवे स्टेशन भी बना हुआ है और इसी विधानसभा में सैफई होने की वजह से सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज भी मौजूद है जो कि कई जिलों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।

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