सार
सरयू नदी के एक कमरे की कुटिया में गुमनामी में जीवन गुजर रहा है अयोध्या में इनके बारे में मशहूर है कि जून की तपती गर्मी और धूप में जब ये गाते थे तो ठंडी हवा बहने लगती थी
अयोध्या: अयोध्या तीर्थ, साधु-संतों के साथ कला और संस्कृति की भी नागरी है। एक से बढ़कर एक विभूतियां यहां से निकलकर दुनियाभर में मशहूर हुई हैं। हालांकि कई ऐसी हस्तियां भी हैं जो गुमनामी में अपना आखिरी वक्त गुजार रही हैं। बाबा गौरी शंकर महाराज भी इन्हीं में से एक हैं जो सरयू के किनारे लगभग गुमनाम सी जिंदगी जी रहे हैं।
गौरी शंकर महाराज अयोध्या में संगीत की हस्ती हैं। इनके सैकड़ों शिष्य संगीत के क्षेत्र में मुकाम बना रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर युवा साधु मानस जी महाराज का गायन काफी पॉपुलर हुआ था। मानस जी इन्हीं गौरी शंकर के शीशी हैं।
गुमनामी में है संगीत की ये महान हस्ती
गौरी शंकर महाराज की उम्र 90 साल बताई जाती है। उम्र की वजह से शरीर काफी जीर्ण शीर्ण हो गया है। इस वजह से ठीक से उठ-बैठ नहीं पाते। बिना सहारे के 10 कदम चल भी नहीं पाते हैं। फिलहाल सरयू नदी के एक कमरे की कुटिया में गुमनामी में जीवन गुजर रहा है। अयोध्या में इनके बारे में मशहूर है कि जून की तपती गर्मी और धूप में जब ये गाते थे तो ठंडी हवा बहने लगती थी।
गौरी शंकर जी महाराज के बारे में कहा जाता है कि ये रोजाना कनक बिहारी महाराज को मंदिर में अपना संगीत सुनाने जाया करते थे। गौरी शंकर जी महाराज के हजारों शिष्य देश, विदेशों तक फैले हुए हैं। 90 की उम्र में भी इनकी आवाज, माधुर्य लोहा बड़े से बड़े गवैये और संगीत के मर्मज्ञ मानते हैं। सरयू नदी के किनारे बने गुमनामी कमरे में संगीत का यह बेशकीमती हीरा अपनी उम्र के अंतिम दिन काट रहा है।
इनको भी सुन लीजिए...
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बचपन से बेसहारा रहे हैं गौरी शंकर महाराज
महाराज जी की कहानी बेहद मार्मिक है। ये मूलत: अयोध्या के ही रहने वाले हैं। इनके पिता ने दो शादियां की थी। परिवार में इनकी उपेक्षा हुई और यह निकल पड़े अयोध्या घराने के सुगम संगीत की गलियों में। बाबा अनपढ़ हैं, बावजूद उन्हें संस्कृत और संगीत में बहुत गहरी और सूक्ष्म पकड़ है।
कम उम्र में गजब का टैलेंट...
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