सार
यूपी के आजमगढ़ में एक बार फिर से जहरीली शराब की वजह से मौत का मामला सामने आया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से यह धंधा फल फूल रहा था। पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 9 लोगों की मौत की घटना कोई नई नहीं है। इससे पहले आजमगढ़ कई बार जहरीली शराब कांड से हुई मौतों का दुख देख चुका है। 2022 से पहले 2002, 2013, 2017 और 2021 में भी यहां जहरीली शराब से मौत हो चुकी हैं। 2002 में इरनी में जहरीली शराब से 11 लोगों की मौत हुई थी। 2013 में मुबारकपुर में जहरीली शराब से तकरीबन 53 और 2017 में सगड़ी में 36 लोगों की मौत की घटना सामने आई थी। जबकि 2021 में जहरीली शराब का शिकार होकर 22 लोगों की जान गई थी।
पूर्व की घटनाओं में ही आजमगढ़ में जहरीली शराब से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद अब फिर से इसमे 10 मौतों का आंकड़ा जुड़ गया है। भले ही प्रशासन लगातार जहरीली शराब के खिलाफ अभियान का दंभ भर रहा हो लेकिन इस तरह की घटनाएं उन अभियानों की वास्तविकता में संचालन पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।
अहरौला में जहरीली शराब के कारण अभी भी तकरीबन 2 दर्जन से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। जाहिर तौर पर इस घटना के सामने आने के बाद एक बार फिर प्रशासनिक अमला लीपापोती में लगा हुआ है।
क्या था मामला
आजमगढ़ में जहरीली शराब पीने से 9 लोगों की मौत हो गई। जबकि 2 दर्जन लोगों की हालत गंभीर है। इनमें से कुछ की आंख की रोशनी चली गई है। यह पूरी घटना माहुल कस्बे में रविवार रात की है। मिली जानकारी के अनुसार, जिस ठेके से ग्रामीणों ने शराब खरीदी है। वह ठेका बाहुबली पूर्व सांसद और मौजूदा सपा प्रत्याशी रमाकांत यादव के भतीजे रंजेश का है। ठेका माहुल पुलिस चौकी के बगल में है।