सार

बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटों और भांजे को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है। तीनों 12 दिसंबर को समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) के बेटों और भांजे को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है। 

बसपा ने हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे कुशल तिवारी, छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी और भांजे गणेश शंकर पांडेय को निकाला है। तीनों के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की चर्चा है। बसपा ने तीनों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है। कुशल तिवारी लोकसभा सीट संत कबीर नगर से दो बार सांसद रहे हैं। विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से विधायक हैं। गणेश पांडेय बसपा सरकार में विधान परिषद के सभापति थे। 

12 दिसंबर को सपा में हो सकते हैं शामिल
बता दें कि उत्तरप्रदेश के राजनीतिक गलियारे में कई दिनों से यह चर्चा तेजी से चल रही थी कि हरिशंकर तिवारी का पूरा कुनबा बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर सकता है। 4 दिसंबर को विनय शंकर तिवारी ने सपा के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही तीनों के पार्टी बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया था। कहा जा रहा है कि विनय तिवारी, कुशल तिवारी और गणेश पाडेय 12 दिसंबर को सपा में शामिल हो सकते हैं। 

हरिशंकर को कहा जाता है बाहुबलियों का गुरु
गौरतलब है कि हरिशंकर तिवारी को उत्तर प्रदेश में बाहुबलियों का गुरु कहा जाता है। उनके नक्शे कदम पर चलकर मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह जैसे बाहुबलियों ने राजनीति में कदम रखा था। हरिशंकर और वीरेंद्र प्रताप शाही के बीच वर्चस्व की लड़ाई ने यूपी में ठाकुर बनाम ब्राह्मण का रंग भरा था। हरिशंकर तिवारी की पहचान ब्राह्मणों के बाहुबली नेता के तौर पर है। 

80 के दशक में राजनीति में धनबल और बाहुबल के जनक के तौर पर स्थापित हरिशंकर तिवारी की तूती बोलती थी। 1985 में हरिशंकर चिल्लूपार से विधायक बने। वह 1989, 91, 93, 96 और 2002 में यहीं से जीते। इसी सीट के दम पर हरिशंकर राज्य के मंत्री बने। 2007 के चुनाव में राजेश त्रिपाठी ने बीएसपी के टिकट पर लड़ते हुए उन्हें हरा दिया। 2017 के चुनाव में बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे हरिशंकर के बेटे विनय शंकर ने चिल्लूपार में जीत दर्ज की थी।

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