सार
पूर्वांचल में गंगा व यमुना में आई बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। लेकिन बलिया में बाढ़ की स्थिति काफी गंभीर है। नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए जिले के 86 स्कूलों में छुट्टी कर दी गयी है।
बलिया (UTTAR PRADESH ). पूर्वांचल में गंगा व यमुना में आई बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। लेकिन बलिया में बाढ़ की स्थिति काफी गंभीर है। नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए जिले के 86 स्कूलों में छुट्टी कर दी गयी है। पूर्वांचल में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर बलिया में देखने को मिला हैं। यहां करीब 30 गावों के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए है। बाढ़ के हालात को देखते हुए यहां बाढ़ प्रभावित 86 स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है।
बलिया में गंगा के साथ ही घाघरा में पानी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ का पानी कई किलोमीटर क्षेत्र में फैल गया है। केंद्रीय जल आयोग ने अगले 24 घंटे में जलस्तर में वृद्धि होने का पूर्वानुमान किया है। बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है।
एनडीआरएफ की टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में हैं मुस्तैद
एनडीआरएफ की टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मुस्तैद हैं। वो पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही हैं, जिला प्रशासन के अधिकारी माइक से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए सूचित कर रहे हैं। इसके आलावा बाढ़ से प्रभावित लोगों को खाने पीने की चीजें भी बांटी जा रही हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के 86 स्कूल हुए बंद
बलिया के बीएसए ने सुभाष यादव ने बताया कि सबसे ज्यादा सोहाव बैरिया इलाके के बाढ़ से स्कूल प्रभावित हुए हैं। इन स्कूलों में या तो बाढ़ का पानी घुस गया है या इनके चारों और बाढ़ का पानी भरा हुआ है। बीएसए ने बताया अध्यापकों को निर्देश दिया गया है कि, जो विद्यालय आंशिक रूप से प्रभावित हों, उनके आसपास जहां कक्षाएं संचालित की जा सकें वहां विद्यालय का संचालन किया जाए।
वाराणसी और प्रयागराज में गलियों में चल रही नावें
बाढ़ से वाराणसी और प्रयागराज के भी कई इलाके प्रभावित हुए हैं। प्रयागराज व वाराणसी में गंगा का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है। यहां तराई के रिहायशी इलाकों में नाव चल रही है। हांलाकि बाढ़ का प्रभाव पिछले दो दिनों से कुछ काम होना शुरू हुआ है, नदियों का जलस्तर भी धीरे-धीरे कम हो रहा है। लेकिन अभी भी वहां जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है।