सार
यूपी के बांदा में एक अनोखी बारात ने लोगों को गुजरे जमाने की याद दिला दी। बारात जब दुल्हन के घर पर पहुंची तो वहां भी परंपरागत तरीके से स्वागत और खानपान की व्यवस्था की गई थी। इसे देखकर सभी लोग हैरान थे।
बांदा: महुटा गांव में जब एक बारात पहुंची तो लोग उसे देखकर दंग रह गए। उस बारात ने लोगों को गुजरे जमाने की याद दिला दी। बारात बोलेरो पर नहीं बल्कि बैलगाड़ी पर पहुंची हुई थी। यहां जनातियों की ओर से भी सारे इंतजाम उसी तरह से किए गए थे। बारातियों को जमीन पर बैठाकर पत्तलों और कुल्हड़ में भोजन और जलपान कराया गया। दरअसल यह प्रयास था एक संदेश देने का जिससे आधुनिकता की चकाचौंध पर रोक लगाई जा सके। यह अनोखी पहल महिला ग्राम प्रधान संध्या मिश्रा की। सुविधा संपन्न होने के बावजूद भतीजे अंकित की शादी पुराने रिति-रिवाजों के अनुसार ही की।
बैलगाड़ियों से पहुंची बारात
यहां एक दर्जन से अधिक बैलगाड़ियों से दूल्हा अंकित मिश्रा दुल्हन को लाने के लिए निकला। बारात घर से चार किमी दूरी शिवपुरी में ही थी। इस बीच प्रधान चाची संध्या मिश्रा भी बैलगाड़ी पर बैठी हुई थी। बैलगाड़ियों से बारात को जाता देखकर राहगीर भी आकर्षित हुए। बारात जब शाम सात बजे शिवपुरी पहुंची तो स्वागत में प्लास्टिक या फाइबर की प्लेट और गिलास नहीं बल्कि कुल्हड़ और दोना था।
टेंट और वाहन में नहीं खर्च हुआ पैसा
इस बीच चाची और प्रधान संध्या ने कहा कि डीजल औऱ पेट्रोल काफी महंगा है। इसी के साथ वाहनों से प्रदूषण भी फैलता है। लिहाजा बैलगाड़ी से बारात को लाया गया है। इसी के साथ प्रयास किया गया है कि पुरानी भूलती जा रही चीजों को फिर से जिंदा किया जाए। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी संस्कृति के बारे में जागरुक हो सके। बारात के आने के साथ ही अगले दिन मंगलवार को हुई विदाई में भी दुल्हन बैलगाड़ी से ही वापस गई। बताया गया कि भतीजे की बारात में वाहन और टेंट आदि पर एक भी रुपया नहीं खर्च हुआ। जो भी धनराशि थी उससे भतीजे और दुल्हन के लिए कड़े और जेवर आदि बनवाए गए। इस अनोखी शादी से जनाती और बराती दोनों ही खुश नजर आए।
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