सार
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को फतेह करने के लिए भाजपा के 'चाणक्य' केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ब्रज क्षेत्र को बतौर प्रभारी चुना तो उसके कई मायने हैं। दरअसल, वह ब्रज क्षेत्र के 12 जिलों की 65 में से 57 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा का कब्जा बरकरार रखना चाहते हैं।
राजीव शर्मा
बरेली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को फतेह करने के लिए भाजपा के 'चाणक्य' केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ब्रज क्षेत्र को बतौर प्रभारी चुना तो उसके कई मायने हैं। दरअसल, वह ब्रज क्षेत्र के 12 जिलों की 65 में से 57 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा का कब्जा बरकरार रखना चाहते ही हैं। उनके इरादे वे 8 सीटें भी जीतने के हैं, जो सपा और बसपा के पास हैं। इनमें बरेली मंडल की जलालाबाद और सहसवान सीट भी हैं। अपने लक्ष्य को भेदने के लिए भाजपा के चाणक्य ने ब्रज भूमि पर खास रणनीति से काम शुरू किया। ब्रज के सभी जिलों में जन विश्वास यात्रा के जरिए घूमे और इस क्षेत्र में पहले व दूसरे चरण में हुए मतदान में 42 सीटों पर खूब चुनावी जनसभाएं कीं। अब वह तीसरे और चौथे चरण में होने वाले मतदान के लिए ब्रज की सीटों पर फोकस कर रहे हैं। ब्रज में भी शाह की रणनीति और मेहनत का इम्तिहान 10 मार्च को होना है।
वैसे तो भाजपा के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में ही चुनावी संग्राम अहम है लेकिन ब्रज क्षेत्र इसलिए उसके लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि यह उसका गढ़ है। पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में यहां के 12 जिलों में भाजपा ने 65 में से 57 विधानसभा सीटें जीती थीं। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में भाजपा के लिए उसके चाणक्य अमित शाह ने 57 सीटों पर बरकरार विजय को शत-प्रतिशत करके 65 में से बाकी 8 सीटें भी कब्जाने का लक्ष्य शुरू से रखा। यही वजह है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पश्चिम क्षेत्र के साथ ब्रज क्षेत्र को भी अपने प्रचार के लिए चुनाव था।
शाह ने इसलिए अपने हाथ में ली ब्रज की कमान
असल में अमित शाह ने ब्रज क्षेत्र में विधानसभा चुनाव की कमान खुद अपने हाथ में इसलिए ली क्योंकि भाजपा के गढ़ वाले ब्रज क्षेत्र में चुनिंदा 8 विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव 2017 में हुई हार को इस बार जीत में बदला जा सके। इसके लिए वह पुरज़ोर कोशिश में शुरू से रहे। इन 8 में से 6 सीटों पर सपा और दो पर बसपा ने जीत हासिल की थी। इनमें बरेली मंडल के शाहजहांपुर जिले की जलालाबाद और बदायूं की सहसवान सीट भी हैं। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि पिछले चुनाव में हार जाने के बाद से ही पार्टी जलालाबाद और ब्रज की बाकी हारी हुई सीटों पर बूथ स्तर तक जी-जान से जुटी, ताकि इन सीटों को भी 2022 में कब्जाया जा सके। अब यह दीगर बात है कि चुनाव में नतीजे क्या रहें। भाजपा हारी आठों सीटों पर अपनी विजय पताका फहराती है या फिर ब्रज में अपने कब्जे वाली बाकी 57 सीटों में से भी कोई अन्य सीटें गंवाती है। लेकिन अमित शाह जिस मजबूत रणनीति से ब्रज क्षेत्र में उतरे हैं, उससे विपक्षी दलों के लिए भाजपा की चुनौती से पार पाना आसान भी नहीं दिखा रहा, लेकिन भाजपा के सामने भी सपा ने जोरदार मुकाबले का माहौल बनाया है।
अब तीसरे और चौथे चरण वाली सीटों पर नजर
पहले चरण में ब्रज की 21 और दूसरे चरण में 21 सीटों पर मतदान हो चुका है और तीसरे चरण में 19 सीटों पर मतदान होना है, चौथे चरण में चार सीटों पर ही ब्रज में मतदान है। पहले चरण के चुनाव में अलीगढ़, मथुरा और जिलों की 21, दूसरे चरण में बरेली मंडल के तीन जिलें- बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर की 21 सीटों पर रोड शो और जनसभाओं के माध्यम से खूब मथा। अब वह तीसरे चरण के लिए कासगंज, हाथरस, एटा, मैनपुरी और फिरोजाद जिलों में भाजपा के पक्ष में डटे हैं। चौथे चरण में पीलीभीत जिला शाह की नजर में है। तीसरे चरण का चुनाव 20 फरवरी को और चौथे चरण का चुनाव 23 फरवरी को होना है।
अगस्त से ही शुरू कर दिया था ब्रज भूमि पर काम
भाजपा पूरे उत्तर प्रदेश के साथ ही ब्रज क्षेत्र में भी कई महीने से चरणबद्व कार्यक्रमों को करती आ रही है। लेकिन पिछले साल अक्टूबर माह में जब से पूरे उत्तर प्रदेश को तीन क्षेत्रों में बांटकर पश्चिम के साथ ब्रज में चुनावी रणनीति की कमान अमित शाह ने बतौर प्रभारी अपने हाथ में ली, तब से भाजपा के कार्यक्रमों में और तेजी आ गई। अमित शाह की रणनीति पर भाजपा ने और तेजी से काम शुरू कर दिया। हालांकि उससे पहले अगस्त के पहले सप्ताह में ही भाजपा ने 'ब्रज फतेह' की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। आगरा में हुई क्षेत्रीय बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ब्रज में पार्टी के कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया था।
इसी कड़ी में 9 से 15 अगस्त तक सभी जिलों में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठकें आयोजित कर सरकार की योजनाओं और चुनावी रणनीतियों के बारे में बताया गया। 16 से 20 अगस्त तक जन आशीर्वाद यात्राएं निकाली गईं। 23 अगस्त से बूथ सत्यापन के कार्य में कार्यकर्ताओं को लगाया गया। 25 अगस्त से 15 सितंबर तक पन्ना प्रमुखों के सम्मेलन आयोजित किए गए। वहीं पार्टी ने सभी 65 सीटों पर विस्तारकों को उतारा, जिन्हें 150 दिन तक अपने लिए आवंटित विधानसभा क्षेत्र में ही प्रवास करके चुनावी तैयारियों में लगाया गया। इन्हें बूथ और मंडलों की जिम्मेदारी भी दी गई। रणनीति के तहत अमित शाह ने अपनी अगुवाई में ब्रज भूमि को मथने के लिए जन विश्वास यात्रा निकाली। इसकी शुरुआत 19 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा से की थी, जहां से हाथरस, आगरा, एटा और 26 दिसंबर को कासगंज होते हुए यह यात्रा बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत और बरेली पहुंची। बीते साल 2021 के अंतिम दिन 31 दिसंबर को यात्रा में शामिल होकर अमित शाह ने बरेली शहर में रोड शो किया था।
भाजपा के लिए इसलिए अहम है ब्रज
ब्रज में भाजपा के संगठनात्मक लिहाज से तो 17 जिले हैं लेकिन सरकारी जिलें 12 हैं। इन जिलों में 65 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 57 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। जाहिर सी बात है कि ब्रज क्षेत्र ने भाजपा को संजीवनी दे रखी है, इसलिए इस गढ़ को वर्ष 2022 में भी बनाए रखना भाजपा के लिए इसलिए चुनौती जैसा है। यही वजह है कि भाजपा ने ब्रज की कमान अमित शाह को दी। ब्रज में भाजपा पर अमित शाह का फोकस 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति के लिए भी रहा। ब्रज के 17 जिलों के 50 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं के बूथ सम्मेलन में उन्होंने जीत का मंत्र दिया था। नतीजतन, बूथ पर फोकस करने की ही वजह से लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा की 13 में से 12 सीटें जीती थीं।
अबकी भाजपा के लिए मुश्किल दिख रहा गढ़ की कई सीटें बचाना
इस बार सपा भाजपा से सीधे मुकाबले में है और उसको मुस्लिमों का भी साथ खूब मिल रहा है। ऐसे में, भाजपा के लिए ब्रज के अपने गढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव जैसी कामयाबी मिलना आसान नजर नहीं आ रहा। यह पहले और दूसरे चरण में देखने को भी मिला है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ब्रज में इस बार भाजपा कुछ सीटें खो सकती है। इतना जरूर हो सकता है कि पिछली बार हारी सीटों पर पांच साल लगातार फोकस करते रहने की वजह से उनमें से कुछ सीटें उसके कब्जे में आ जाएं लेकिन उसकी अपनी ही कुछ सीटें खिसक सकती हैं। अलबत्ता, ब्रज में भाजपा के नेता हषवर्धन आर्य का दावा है कि इस बार वे सीटें भी जीतेंगे जो पहले हारी थीं।