सार

स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी सहित लगातार हो रहे विधायकों के इस्तीफों ने बीजेपी के मास्टर प्लान को कड़ी चुनौती दी है। ठाकुरों को साध कर बीजेपी चुनाव लड़ने की तैयारी में थी। लेकिन अब पिछड़ों को साधने में जुट गई है। यूपी का राजनीति के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। लगातार बीजेपी में हो रहे इस्तीफे ने दिल्ली में बीजेपी के आलाकमान की भी नींद उड़ा दी है।

आशीष सुमित मिश्रा, लखनऊ

लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की राजनीति का इतिहास रहा है कि यहां ज्यादा समय तक कुछ भी निश्चित नहीं रहता है। हर घंटे समीकरण बदलते रहते हैं। अभी दो महीने पहले तक यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Election 2022) के नतीजे बीजेपी के पाले में गिरते दिखाई दे रहे थे। हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी ने चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर ली थी। लेकिन अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बीते 2 दिन में बीजेपी के मास्टर प्लान को फेल कर दिया है। यूपी का चुनाव एक बार फिर जातिवाद के मुद्दे पर आ गया है। अब आसार ये बन गए हैं कि बीजेपी को भी अखिलेश की पिच पर आकर बैटिंग करनी पड़ रही है। 

देखते-देखते बदल गया समीकरण
स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी सहित लगातार हो रहे विधायकों के इस्तीफों ने बीजेपी के मास्टर प्लान को कड़ी चुनौती दी है। ठाकुरों को साध कर बीजेपी चुनाव लड़ने की तैयारी में थी। लेकिन अब पिछड़ों को साधने में जुट गई है। यूपी का राजनीति के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। लगातार बीजेपी में हो रहे इस्तीफे ने दिल्ली में बीजेपी के आलाकमान की भी नींद उड़ा दी है। अभी तक योगी के चेहरे को दिखा कर चुनाव में फतेह करने की योजना बनाने वाली बीजेपी को पार्टी के पिछड़े दल के नेताओं को आगे लाना पड़ रहा है। दिल्ली में बैठे आलाकमान ने केशव प्रसाद मौर्य को आगे कर के पार्टी से नाराज पिछड़े दल के नेताओं के मनाने की जिम्मेदारी दी है। केशव मौर्य इसमें कितने कामयाब होंगे ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

अब तक योगी कैबिनेट के तीन मंत्री और 11 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी शामिल हैं। भाजपा छोड़ कर इनमे से ज्यादातर लोग सपा में शामिल हो गए हैं। वहीं माना जा रहा है कि बचे नेता भी जल्द से जल्द सपा में शामिल हो जाएंगे। 

1. बदायूं जिले के बिल्सी से विधायक राधा कृष्ण शर्मा। 
2. सीतापुर से विधायक राकेश राठौर।  
3. बहराइच के नानपारा से विधायक माधुरी वर्मा।   
4. संतकबीरनगर से भाजपा विधायक जय चौबे। 
5. स्वामी प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री
6. भगवती सागर, विधायक, बिल्हौर कानपुर
7. बृजेश प्रजापति, विधायक
8. रोशन लाल वर्मा, विधायक
9. विनय शाक्य, विधायक 
10. अवतार सिंह भड़ाना, विधायक
11. दारा सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री
12. मुकेश वर्मा, विधायक
13. धर्म सिंह सैनी, कैबिनेट मंत्री
14. बाला प्रसाद अवस्थी, विधायक

पिछड़ों की भगदड़ ने सभी मुद्दों को छोड़ा पीछे
बीजेपी के लाख मनाने के बाद भी स्वामी प्रसाद मौर्य का एक ही जवाब सामने आ रहा है कि इस रूट की सभी लाइने व्यस्थ हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की रैलियां, सपा को भष्ट साबित करने के लिए मारे गए छापे और ठोको मारो के नारा, सबको पिछड़ों की भगदड़ ने पीछे छोड़ दिया है। 

अखिलेश का पलड़ा भारी
यूपी में बीजेपी विधायकों की मची भगदड़ पर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बीजेपी योगी अदित्यनाथ का मठ बचाने के चक्कर में सत्ता का किला ही गवाती नजर आ रही हैं। दो महीने पहले तक जो चुनाव साफ-साफ भाजपा के पाले में जाता हुआ नजर आ रहा था। उस तराजू का पलड़ा अखिलेश यादव की तरफ झुक चुका है। दिल्ली के भाजपा के कार्यालय तक ये खबर पहुंच चुकी है। 

हलांकि चुनाव से पहले इस तरह की भागमभाग देखने को मिलती है। सपा के भी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा है। अब देखने वाली बात ये है कि दल बदलने वाले ये नेता कितने समय तक नए दल के साथ रहेंगे। आने वाला समय बताएगा कि यूपी विधानसभा चुनाव में इसका कितना असर पड़ेगा।