सार
सामान्य वर्ग के मतदाताओं की अगर बात करें तो निजामाबाद विधानसभा में लगभग 33837 मतदाता है जबकि मुस्लिम और सिख मतदाताओं की संख्या लगभग 60,000 है। अब सवाल यह उठता है कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां ओबीसी को टिकट क्यों दिया। बहुजन समाज पार्टी भी यादव को टिकट दी, कांग्रेस पार्टी ने भी यादव को टिकट दिया। जबकि समाजवादी पार्टी ने यादव वोट बैंक को अपने पक्ष में मानते हुए मुस्लिम कार्ड शुरू से खेला और मुस्लिम कैंडिडेट को अपना प्रत्याशी घोषित किया।
रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ की निजामाबाद विधानसभा सीट पर सभी दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से पूर्व मंत्री अंगद यादव के भतीजे मनोज यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के कोर कमेटी में शामिल अनिल यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने लगातार 10 साल से विधायक रहे आलम बदी आजमी पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। पूर्व विधान परिषद सदस्य कैलाश यादव को बीएसपी कैंडिडेट तय माना जा रहा है। इस सीट पर सभी दल चाहते हैं उनका कब्जा हो जाए, जिसकी वजह है यहां का जातिगत समीकरण। निजामाबाद विधानसभा में अनुसूचित जाति के लगभग 70285 मतदाता हैं, जबकि पिछड़ी जाति 159151 मतदाता इस विधानसभा क्षेत्र में हैं।
सामान्य वर्ग के मतदाताओं की अगर बात करें तो निजामाबाद विधानसभा में लगभग 33837 मतदाता है जबकि मुस्लिम और सिख मतदाताओं की संख्या लगभग 60,000 है। अब सवाल यह उठता है कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां ओबीसी को टिकट क्यों दिया। बहुजन समाज पार्टी भी यादव को टिकट दी, कांग्रेस पार्टी ने भी यादव को टिकट दिया। जबकि समाजवादी पार्टी ने यादव वोट बैंक को अपने पक्ष में मानते हुए मुस्लिम कार्ड शुरू से खेला और मुस्लिम कैंडिडेट को अपना प्रत्याशी घोषित किया। सबसे अहम बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने जिन यादव को टिकट दिया है वह आपस में एक दूसरे के संबंधी हैं। मनोज यादव के टिकट की घोषणा के बाद अब तेजी के साथ या कयास लगाया जा रहे हैं कि बहुजन समाज पार्टी यादव पर दाव तो खेलना चाहती है लेकिन अपने घोषित प्रत्याशी कैलाश यादव पर नहीं। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से कैलाश यादव क्षेत्र में प्रमुखता से नहीं दिख रहे हैं। मायावती यह जानती हैं कि दलित मतदाता हमेशा उनके साथ है अगर कुछ मुस्लिम मतदाता बहुजन समाज पार्टी को वोट करते हैं और प्रत्याशी यदि यादव है तो इस सीट पर जीत की एक उम्मीद बनती है।
वर्तमान समय में मौजूदा विधायक आलम बदी से क्षेत्र की जनता काफी नाराज है क्योंकि क्षेत्र के लोगों का कहना है कि क्षेत्र में कोई भी विकास का काम नहीं हुआ। वहीं दूसरी तरफ लगभग 90 साल के हो चुके आलम बदी अब क्षेत्र में जाने के लिए पूरी तरह से फिट नहीं बैठते हैं जिसके कारण क्षेत्र में उनकी उपस्थिति ना के बराबर रहती है और यह भी जनता की नाराजगी का एक प्रमुख कारण है। निजामाबाद विधानसभा में लगभग डेढ़ लाख पिछड़ी जाति मतदाता हैं जो अपने आप में मायने रखता है और शायद यही वजह है कि सभी दलों ने इस बार यादव को ही टिकट देना उचित समझा। 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी दलों की यह कोशिश है क्यों उनके ज्यादा से ज्यादा विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे जिससे वह सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकें। कुल मिलाकर के भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के तरह बहुजन समाज पार्टी भी यह चाहती है कि इस सीट पर वह अपनी जीत दर्ज कर सके। वर्तमान समय में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने कई प्रत्याशियों के टिकट बदले हैं ऐसे में यह माना जा रहा है वर्तमान प्रत्याशी को बदल कर बहुजन समाज पार्टी यहां किसी नए प्रत्याशी की घोषणा करें।