सार

प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में फिर से एक नया पेंच आ गया है। परिणाम घोषित होने के बाद प्रश्नों के उत्तर विकल्प गलत होने को लेकर 1 या 2 अंक से पीछे रह गए हजारों अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है

प्रयागराज(Uttar Pradesh).  प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में फिर से एक नया पेंच आ गया है। परिणाम घोषित होने के बाद प्रश्नों के उत्तर विकल्प गलत होने को लेकर 1 या 2 अंक से पीछे रह गए हजारों अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। इस मामले की सुनवाई 27 मई को हाईकोर्ट में होगी। अभ्यर्थियों का कहना है कि कई सवालों के उत्तर विकल्प गलत होने के कारण, सही जवाब देने के बावजूद उन्हें मेरिट में स्थान नही दिया गया है। गलत उत्तर देने वालों को चयनित कर दिया गया है। याचिका में मांग की गई है कि गलत उत्तर वाले प्रश्न हटाकर नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाई जाए और घोषित परिणाम रद्द किया जाए। याचिकाओं में अन्य कानूनी मुद्दे भी उठाये गए हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश पाडिया की कोर्ट के समक्ष इस मामले की सुनवाई होगी। 

गौरतलब है कि 18 मई से 69000 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। बेसिक शिक्षा परिषद परीक्षा में सफल व्यक्तियों से आवेदन ले रहा है। आवेदन के बाद मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की तैयारी चल रही है. इसके लिए कोर्ट से भी अहम निर्देश दिए गए हैं। लेकिन परीक्षा में 1-2 नम्बरों से फेल अभ्यर्थियों ने 8 मई 2020 को जारी उत्तर कुंजी में 4 उत्तरों को लेकर हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर आपत्ति जताई है। याचियों के मुताबिक आपत्ति के सम्बंध में सक्षम अधिकारियों की ओर से कोई कार्यवाही न करने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। 

27 मई को सरकार को दाखिल करना है हलफनामा
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के ही एक मामले में आंसरशीट के विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को विशेषज्ञों की राय के साथ 27 मई तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने ऋषभ मिश्रा व अन्य की ओर से दाखिल सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया है। वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिये शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान याचियों की तरफ से राज्य सरकार के शपथ पत्र पर आपत्ति दर्ज कराई गई। उन्होंने कहा कि आंसरशीट के विवादित 4 उत्तरों को लेकर उस शपथ पत्र में कोई स्पष्टीकरण ही नहीं दिया गया है, जबकि यही इस मामले का मुख्य बिंदु है। 

अगली सुनवाई में अंतरिम राहत पर भी होगा विचार
इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को विवादित उत्तरों के सम्बंध में विशेषज्ञ की राय के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई पर याचियों की ओर से मांगी गई अंतरिम राहत पर भी विचार किया जाएगा।