सार
ट्रेन के आने पर दूल्हा नवीन अपने एसी कोच में चढ़ गया। बाराती भी अपने अपने डिब्बे में किसी तरह बैठ गए। इस भागम-भाग में दूल्हन प्लेटफॉर्म पर ही छूट गई। पूरे श्रृंगार में सजी दूल्हन पर जब ध्यान गया तो लोग ट्रेन रोकने के लिए चिल्लाने लगे। कुछ लोग स्टेशन अधीक्षक रवींद्र कुमार के पास मदद के लिए पहुंच गए तो कुछ लोगों ने पुलिस से गुहार लगाई। लेकिन, कोई मदद नहीं मिली। तब तक ट्रेन आगे जा चुकी थी।
जौनपुर (Uttar Pradesh) । शादी के बाद दुल्हन, दूल्हे के साथ ससुराल पश्चिम बंगाल जाने के लिए मीरजापुर रेलवे स्टेशन पहुंची, लेकिन होली के कारण ट्रेन में भीड़ अधिक होने से अफरातफरी मची रही। दूल्हे का हाथ दुल्हन से छूट गया। दूल्हा ट्रेन में चढ़ गया, जबकि दुल्हन प्लेटफार्म पर ही रह गई और ट्रेन चली गई। इस पर दुल्हन फूट फूटकर रोने लगी। ये देख जहां लोग शोर मचाते इधर-उधर भागते रहे वहीं, दूल्हा चलती ट्रेन से अपनी दुल्हन से दूर होता चला गया। आखिर में रोती हुई दुल्हन ससुराल की जगह अपने मायके लौट गई। बता दें कि दुल्हन की शादी पश्चिम बंगाल हुई थी, जिसके कारण वो ट्रेन से अपने ससुराल जा रही थी।
मौसी के घर से हुई थी शादी
जौनपुर निवासी आशुतोष सोनकर की बहन की शादी सात मार्च को को नटवा स्थित मौसी के घर से पश्चिम बंगाल के खड़गपुर निवासी नवीन सोनकर के साथ हुई। विदाई के बाद मीरजापुर रेलवे स्टेशन से बारात का पुरूषोत्तम एक्सप्रेस से लौटने का रिजर्वेशन था। ट्रेन अपने निर्धारित समय से लगभग चार घंटे लेट से स्टेशन पहुंची, जबकि होली के कारण ट्रेन में भारी भीड़ भी थी।
इस तरह छूट गई दुल्हन
ट्रेन के आने पर दूल्हा नवीन अपने एसी कोच में चढ़ गया। बाराती भी अपने अपने डिब्बे में किसी तरह बैठ गए। इस भागम-भाग में दूल्हन प्लेटफॉर्म पर ही छूट गई। पूरे श्रृंगार में सजी दूल्हन पर जब ध्यान गया तो लोग ट्रेन रोकने के लिए चिल्लाने लगे। कुछ लोग स्टेशन अधीक्षक रवींद्र कुमार के पास मदद के लिए पहुंच गए तो कुछ लोगों ने पुलिस से गुहार लगाई। लेकिन, कोई मदद नहीं मिली। तब तक ट्रेन आगे जा चुकी थी।
नहीं मिली शिकायत पुस्तिका
आशुतोष ने आरोप लगाया कि इस दौरान जीआरपी थाने पर गया तो वहां पर बताया गया कि यह काम आरपीएफ का है। जहां पहुंचने पर बताया गया कि ट्रेन को चुनार में रोका गया है लेकिन पता नहीं किया गया। इसके बाद डिप्टी एसएम कार्यालय पहुंचा जहां पर द्वय स्टेशन मास्टर से गुहार लगाई लेकिन किसी ने दर्द को सुनने का प्रयास नहीं किया। उल्टा कहा गया कि यहां से कोई काम नहीं होगा। इसके बाद शिकायत पुस्तिका की मांग की गई तो नहीं दिया गया।