सार

यूपी के जिले एटा में कारीगर को डकैत बताकर पुलिसकर्मियों ने हत्या की थी। जिसके बाद सीबीआई द्वारा केस हैंडल करने के बाद सच का खुलासा हुआ। पूरे 16 साल बाद मृतक के परिवार को न्याय मिला है और परिवार काफी खुश है। 

एटा: उत्तर प्रदेश के जिले एटा के थाना सिढ़पुरा क्षेत्र में साल 2006 को डकैत बताकर कारपेंटर को फर्जी एनकाउंटर में मारने वाले पुलिसकर्मियों को सजा 16 साल चार महीने और तीन दिन में मिल पाई। इस मामले में सीबीआई ने 13 बार एटा का दौरा कर 99 गवाह बनाए तब जाकर न्याय मिल पाया है। इस मामले में सीबीआई के विवेच रोहित श्रीवास्तव की भूमिका से परिवार के लोग काफी खुश है क्योंकि उनकी वजह से ही कारीगर को 16 साल बाद न्याय मिल सका। पुलिसकर्मियों ने उसके घरवालों को ही झूठी कहानी बताई थी।

थानेदार साहब को बुलाने की कही थी बात
दरअसल 18 अगस्त 2006 की रात की बात है। जब कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव मिलावली निवासी राजाराम अपनी पत्नी संतोष और छोटे भाई अशोक के साथ सिढ़पुरा थाना क्षेत्र के गांव पहलोई अपनी रिश्तेदारी में जा रहे थे। इस दौरान सिढ़पुरा थाने के सिपाही राजेंद्र व अजंट सिंह ने राजाराम को रोक लिया। फिर पुलिस की एक जीप आ गई और पुलिसकर्मी अपने साथ बैठा ले गए। राजाराम को पुलिस द्वारा ले जाने पर पत्नी ने टोका भी पर उससे कह दिया कि थानेदार साहब बुला रहे हैं। इसके बाद से राजाराम का कहीं भी पता नहीं चला। परिवार चार दिन तक तलाश करता रहा और थाने भी पहुंचा मगर कह दिया कि लूट के मामले में पूछताछ के बाद छोड़ दिया। पुलिस ने यह भी कहा कि उन्हें उसी दिन छोड़ दिया था लेकिन यह सच नहीं था।

पोस्टमार्टम से खुला था पुलिस का पूरा खेल
कारीगर राजाराम की पत्नी संतोष का कहना है कि पांचवें दिन उनको पता चला कि पुलिसकर्मी उसके पति की अंत्येष्टि कराने के लिए शव को भूतेश्वर ले गए। वहां पर रहने वाले बंगाली बाबा राजाराम को जानते थे क्योंकि उनका फर्नीचर बनवाया था। इसकी वजह से उन्होंने राजाराम के शव को पहचान लिया। बंगाली बाबा ने शव के साथ परिवार के किसी व्यक्ति को नहीं देखा तो उनको शक हुआ तब तक परिवार के लोग पहुंच गए लेकिन तब तक चिंता जल चुकी थी। राजाराम के शव की पुष्टि बंगाली बाबा ने कर दी और उसके बाद परिवार ने पोस्टमार्टम से जानकारी जुटाई तो पुलिस का पूरा राज खुला।

पत्नी समेत पूरा परिवार आरोपियों को दिलाना चाहता था सजा
उसके बाद से ही राजाराम की पत्नी संतोष समेत पूरे परिवार का संघर्ष शुरू हुआ। अदालत में पुलिसकर्मियों के विरुद्ध जब मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया लेकिन उसके बाद भी रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी। फिर मृतक का परिवार हाईकोर्ट गया, जहां पर सीबीआई जांच के लिए आदेश हुआ। उसके बाद से ही सीबीआई के इंस्पेक्टर रोहित श्रीवास्तव ने मामले की विवेचना की। 16 साल 4 महीने और 3 दिन में अब न्याय मिला है। पत्नी संतोष समेत उसका भाई अशोक का कहना है कि हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए। सीबीआई इंस्पेक्टर नें निष्पक्षता पूर्वक विवेचना की और न्याय दिलवाने में अहम भूमिका निभाई है इसलिए आज पूरा परिवार खुश है।

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