सार

फार्दस डे पर आज हम आपको एक ऐसे ही पिता की मार्मिक कहानी बता रहे हैं...जिसके संघर्ष को जान आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे...रिक्शा चालक पिता ने बेटे का करियर बनाने के लिए दिन रात रिक्शा चलाकर आईएएस अफसर बना दिया।

पटना (बिहार). पूरी दुनिया में आज पिता को सर्मपित फार्दस डे मनाया जा रहा है। ये दिन उस इंसान को समर्पित है जो अपने बच्चों का रोल मॉडल होता है और संतान की खुशी की खातिर सारे गम अपने ऊपर ले लेता है। मां भले ही बच्चे को जन्म देती है, लेकिन उस बच्चे को दुनिया को दिखाने का काम पिता ही करता है। वह अपने बेटे-बेटियों को एक अच्छा इंसान बनने की सीख देता है, उनका करियर बनाने के लिए दिनरात एक कर देता है। उनको पढ़ाने से लेकर नौकरी तक कड़ी धूप में घंटों मेहनत करता है। आज हम आपको एक ऐसे ही पिता की मार्मिक कहानी बता रहे हैं...जिसके संघर्ष को जान आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे...

 आईएस बेटे के लिए आईपीएस बहू घर लेकर आया पिता
दरअसल, यह कहानी है, यूपी वाराणसी के रहने वाले रिक्शा चालक नारायण जयसवाल है, जिन्होंने खुद दिनरात मेहनत की और एक-एक पैसे जोड़कर बेटे की पढ़ाई करवाई। इतना ही नहीं अपनी जिद से ही बेटे को आईएएस अफसर बना दिया। इतना ही नहीं बाद में जब उसकी शादी करने की बात आई तो वह आईएस बेटे के लिए आईपीएस बहू घर लेकर आया। रिक्शा चालक नारायण जयसवाल के तीन बेटियां और एक बेटा है। जो बेटा उनका आईएएस ऑफिसर है उसका नाम गोविंद जयसवाल है।

गोविंद को यह कहकर चिढ़ाते थे कि देखो रिक्शावाले का बेटा आ गया...
बता दें कि आईएएस  गोविंद जयसवाल के पिता नारायण जायसवाल पढ़े-लिखे नहीं हैं। वह ठीक से सही से सुन भी नहीं पाते हैं, लेकिन बेटे को बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखते थे। इसके लिए उन्होंने अपने खेत बेचकर बेटे की पढ़ाई कराई। नारायण जायसवाल बेटे को रिक्शे पर बैठा कर खुद स्कूल छोड़ने जाते थे। तब स्कूल के बच्चे गोविंद को यह कहकर चिढ़ाते थे कि देखो रिक्शावाले का बेटा आ गया। तभी उन्होंने सोच लिया था कि बेटे को इतना बड़ा अधिकारी बनाऊंगा कि लोग उसे सलाम करेंगे। स्कूली पढ़ाई के बाद बेटे को दिल्ली पढ़ने के लिए भेज दिया। 

दिल छू जाने वाली है एक पिता और बेटे की कहानी....
जिस वक्त गोविंद दिल्ली में पढ़ाई कर रह थे तो उस वक्त उनकी मां यानि नारायण जयसवाल की पत्नी का ब्रेन हेमरेज के चलते निधन हो गया।  उस वक्त नारायण ने अपने रिक्शा बेच दिए थे। लेकिन, वह अपनी पत्नी का इलाज नहीं करवा पाए थे। फिर भी उन्होंने बेटे की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक इंटरव्यू के दौरान आईएएस अफसर गोविंद जयसवाल ने बताया था कि  पिताजी के रिक्शे थे वह भी बेटी की तीन शादियों में बेचने पड़ गए थे। पिताजी के पास मात्र एक रिक्शा रह गया था जिस पर गोविंद सुबह बैठकर स्कूल जाता था और पूरे दिन गोविंद के पिता नारायण जायसवाल रिक्शा चलाकर ही पैसा कमाते थे।

बेटा पहले ही प्रयास में बना आईएएस अफसर
बता दें कि गोविंद जायसवाल ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली थी। उन्होंने 2006 की IAS परीक्षा में 48 वां रैंक हासिल किया की थी। हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों की श्रेणी में वह टॉपर लिस्ट में शामिल थे। गोविंद फिलहाल ईस्ट दिल्ली एरिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं। बता दें कि गोविंद पढ़ाई में पैसे की कमी पूरी करने के लिए बच्चों को कोचिंग भी पढ़ाते थे। ताकि पिता पर ज्यादा से ज्यादा बोझ ना आए।