सार
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सुरक्षा में कोई चूक न रह जाए, इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के सभी पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं। राष्ट्रपति की सुरक्षा 1350 सुरक्षा कर्मियों के हवाले की गई है, तो वहीं चार लंगूर बंदर भी राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं।
निर्मल राजपूत
मथुरा: देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath kovind) दूसरी बार वृंदावन (Vrindavan) दौरे पर आ रहे हैं। जिले में उनके आगमन की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई है और राष्ट्रपति की सुरक्षा में कोई चूक न रह जाए, इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के सभी पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं। राष्ट्रपति की सुरक्षा 1350 सुरक्षा कर्मियों के हवाले की गई है, तो वहीं चार लंगूर बंदर भी राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं।
सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर पहुंचेंगे राष्ट्रपति कोविंद
सोमवार को भारत के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एक दिवसीय दौरे पर वृंदावन आएंगे। उनके दौरे को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। उनकी सुरक्षा में कोई चूक ना रह जाए इसके लिए आगरा जोन से भारी संख्या में पुलिस बल बुलाया गया है। बता दें कि सोमवार को सुबह 9:30 बजे वायु सेना के विमान से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वृंदावन में बने हेलीपैड पर पहुंचेंगे। राष्ट्रपति का अभिवादन करने के लिए प्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे।
सुरक्षाकर्मियों के साथ लंगूर करेंगे राष्ट्रपति के चश्में की सुरक्षा
वृंदावन दौरे पर पहुंचकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भगवान बांके बिहारी मंदिर जाने के लिए जैसे ही राष्ट्रपति सरकारी कार्यालय से रवाना होंगे तो उनकी सुरक्षा में तैनात चार सुरक्षाकर्मी उनके आसपास रहकर बंदरों से उनके चश्मे की सुरक्षा करेंगे। भगवान बांके बिहारी मंदिर के मैंनेजर मुनीष शर्मा ने बताया कि सभी तैयारियां राष्ट्रपति के आगमन की पूरी कर ली गई हैं। मंदिर को फूलों से सजाया गया है, तो वहीं चार लंगूर बंदरों की तैनाती मंदिर पर की गई है। उन्होंने बताया कि यहां बंदरों का आतंक अधिक है और कहीं राष्ट्रपति जी का चश्मा बंदर ना ले जाएं, इसलिए चार लंगूर बंदर बांके बिहारी मंदिर पर तैनात किए गए हैं।
वृंदावन की सड़कों पर रहता है बंदरों का आतंक
बता दें कि भगवान बांके बिहारी मंदिर को जाने वाली सभी रास्तों पर बंदरों का भारी आतंक रहता है। यहां से चश्मा पहन कर गुजरने वाले श्रद्धालुओं के चश्मे पलक झपकते ही बंदर लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं। यहां चश्मे बंदर तब वापस देते हैं जब उन्हें फ्रूटी न दी जाए। रोटी लेने के बाद बंद कर स्वयं चश्मे को नीचे फेंक देते हैं। राष्ट्रपति जिस गोल्फ गाड़ी से भगवान बांके बिहारी मंदिर के लिए निकलेंगे उस रास्ते पर राष्ट्रपति से आगे बंदरों की तैनाती रहेगी।
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