सार
यूपी के जिले कानपुर में तीन अस्पतालों से लौटाई गई दूध से जली ढाई साल की बच्ची इयाना को उर्सला में भर्ती तो कर लिया गया लेकिन इलाज नहीं शुरू हो सका। शुक्रवार रात नौ बजे भर्ती हुई बच्ची को शनिवार शाम चार बजे तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया था।
कानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक नहीं बल्कि तीन अस्पतालों से लौटाई गई दूध से जली ढाई साल की बच्ची को उर्सला में भर्ती तो करा लेकिन इलाज तक नहीं शुरू किया। शुक्रवार की देर रात नौ बजे भर्ती हुई बच्ची को शनिवार की शाम चार बजे तक कोई डॉक्टर देखने तक नहीं आया। मासूम दर्द से कराह रही और इलाज तो दूर उसकी मरहम पट्टी तक भी नहीं की गई। उसके इलाज की जगह नर्स ने बच्ची की मां से इतना जरूर कह दिया कि लखनऊ ले जाओ, वहीं इलाज मिलेगा।
मां का आंचल हटते ही मासूम चीख मारकर लगती है रोने
शहर के उर्सला इमरजेंसी के एनबी-2 वार्ड के अंदर विशेष वार्ड के 21 नंबर बेड पर भर्ती ढाई साल की बच्ची इयाना अपने ऊपर से मां के आंचल को हटाते ही चीख मारकर रोने लगती है। उसकी छाती का दाहिना हिस्सा उबलते दूध गिर जाने से बुरी तरह से झुलस गया है। मासूम रोगी के पिता मुन्ना कभी नर्सों के कक्ष में तो कभी बाहर डॉक्टर के आने का इंतजार करते हैं। उनका कहना है कि इयाना को लेकर चार अस्पतालों में जा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है।
कन्नौज जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने नहीं लगाया हाथ
मासूम बर्न रोगी इयाना के पिता मुन्ना का कहना है कि वे काजीपुर, कन्नौज के रहने वाले हैं। तीन दिसंबर को उबलता दूध बच्ची के ऊपर गिर गया था। पहले तो निजी डॉक्टर के पास इलाज कराते रहे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जब शुक्रवार को तकलीफ बढ़ी तो बच्ची को लेकर कन्नौज के जिला अस्पताल ले गए। वहां किसी ने हाथ नहीं लगाया और कहा कि तिर्वा मेडिकल कॉलेज ले जाओ। वहां लेकर जब बेटी को पहुंचा तो डॉक्टरों ने भी जिला अस्पताल जैसा व्यवहार किया और कह दिया कि बच्ची को लेकर हैलट जाओ।
उर्सला अस्पताल पहुंचने पर नहीं आए डॉक्टर
बच्ची के पिता ने आगे बताया कि जब शुक्रवार की शाम सात बजे हैलेट पहुंचा तो वहां भी डॉक्टरों ने कुछ देर रखा और बोले कि बर्न का इलाज नहीं हो पाएगा। इस वजह से बच्ची को उर्सला लेकर जाइए। फिर देर रात नौ बजे उर्सला इमरजेंसी पहुंचे तो यहां पर भर्ती कर लिया। मगर मरहम पट्टी तक नहीं की गई है। बच्ची को देखने के लिए डॉक्टर तक नहीं आए पर स्टाफ ने इतना जरूर कह दिया कि लखनऊ ले जाओ, वहीं इसका इलाज होगा। मासूम बच्ची का पिता इधर-उधर भटकता रहा और उसको इलाज नहीं सका।
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