सार
कानपुर का सबसे कम मतदान प्रतिशत रहा है। जबकि जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थानों ने मतदान जागरूकता के लिए अभियान भी चलाया था। इसके बाद भी कानपुर के मतदाताओं को घर से बाहर नहीं निकाला जा सका। इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर जरूरत से ज्यादा सख्ती होने के कारण भी वोटरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वोटरों को मतदान केंद्रों पर पाबंदिया लगाईं गइंर् कि मोबाइल फोन लेकर नहीं जाना है। मोबाइल फोन बाहर रख आइए। इसके साथ ही बड़ी संख्या में बिना मास्क लगाए वोटरों को लौटाया गया। जिसका भी मैसेज गलत गया।
सुमित शर्मा
कानपुर: यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 59 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न हुआ। कानपुर से सभी राजनीतिक पार्टियों को बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन कानपुर का मतदान प्रतिशत विधानसभा चुनाव 2017 से भी कम रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में कानपुर का मतदान प्रतिशत 58.08 रहा है। मतदान प्रतिशत का ग्राफ गिरने से राजनीतिक पार्टियों का सियासी समीकरण बिगड़ गया है। वहीं प्रत्याशियों के माथे पर शिकन भी बढ़ती जा रही है।
कानपुर का सबसे कम मतदान प्रतिशत रहा है। जबकि जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थानों ने मतदान जागरूकता के लिए अभियान भी चलाया था। इसके बाद भी कानपुर के मतदाताओं को घर से बाहर नहीं निकाला जा सका। इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर जरूरत से ज्यादा सख्ती होने के कारण भी वोटरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वोटरों को मतदान केंद्रों पर पाबंदिया लगाईं गइंर् कि मोबाइल फोन लेकर नहीं जाना है। मोबाइल फोन बाहर रख आइए। इसके साथ ही बड़ी संख्या में बिना मास्क लगाए वोटरों को लौटाया गया। जिसका भी मैसेज गलत गया।
विधानसभा चुनाव 2017 में कानपुर में 57.26 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं विधानसभा चुनाव 2022 में 58.08 प्रतिशत मतदान हुआ। पिछले चुनाव से इस चुनाव में .18 प्रतिशत कम मतदान कम हुआ है। कानपुर में वोटिंग प्रतिशत कम होने से राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों की चिंताए बढ़ गईं हैं। जिसमें से बीजेपी को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से सात ऐसी सीटें हैं, जिसमें चुनाव फंसा हुआ है।
कानपुर की कैंट, आर्यनगर, सीसामऊ, किदवई नगर, कल्यानपुर, घाटमपुर और बिठूर विधानसभा सीटों पर मुकाबला बहुत ही कड़ा है। कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस की बीच सीधी टक्कर है। वहीं कुछ सीटों पर सपा और बीजेपी के बीच मुकाबला है, कहीं पर त्रिकोणीय मुकाबला है। फिलहाल प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है।
कल्यानपुर विधानसभा (211) सीट
कानपुर की कल्यानपुर विधानसभा सीट पहले कांग्रेसियों का गढ़ रही। पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार के बेटी नीलिमा कटियार कल्यानपुर से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। बीजेपी की नीलिमा कटियार को एसपी के सतीश निगम कड़ी टक्कर दे रहे हैं। मतदान प्रतिशत कम होने से इस सीट पर असर देखने को मिल सकता है।
बिठूर विधानसभा (210) सीट
कानपुर की बिठूर विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय था। बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा को एसपी के मुनींद्र शुक्ला और बीएसपी के रमेश यादव से कड़ी टक्कर मिल रही थी। ब्राह्मण वोटर एसपी प्रत्याशी मुनींद्र शुक्ला तो ओबीसी और अनुसूचितजाति के वोटर बीएसपी के रमेश यादव के साथ नजर आ रहे थे। लेकिन मतदान प्रतिशत कम होने से प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ गई है।
सीसामऊ विधानसभा (213) सीट
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा मुस्लिम बाहुल सीट है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा है। एसपी के इरफान सोलंकी ने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। सीसामऊ सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। एसपी विधायक इरफान सोलंकी को बीजेपी के पूर्व विधायक सलिल विश्नोई और कांग्रेस के हाजी सोहेल अहमद कड़ी टक्कर दे रहे थे। मतदान कम होने से यहां पर बीजेपी की मुस्किलें बढ़ गई हैं।
आर्यनगर विधानसभा (214) सीट
आर्यनगर विधानसभा सीट जनरल सीट है। आर्यनगर विधानसभा सीट से 2012 में बीजेपी के सलिल विश्नोई विधायक थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के अमिताभ वाजपेई ने शानदार जीत दर्ज की थी। एसपी विधायक अमिताभ वाजपेई को बीजेपी के सुरेश अवस्थी और कांग्रेस के प्रमोद जायसवाल से टक्कर मिल रही थी। वहीं बीएसपी डॉ आदित्य जायसवाल भी पीछे नहीं थे। इस सीट पर भी मुस्लिम वोटर तो निकले, लेकिन व्यापारी वर्ग का मतदाता वोट करने के लिए नहीं निकला।
किदवई नगर विधानसभा (215) सीट
किदवई नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल इलाका है। विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस के अजय कपूर ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले अजय कपूर गोविंद नगर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के महेश त्रिवेदी ने कांग्रेस के अजय कपूर को हरा कर कमल खिलाया था। इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर है। लेकिन मतदान का कम प्रतिशत यहां बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है।
कैंट विधानसभा (216) सीट
कानपुर की कैंट विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल क्षेत्र है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुहैल अंसारी ने शानदार जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के सुहैल अंसारी को एसपी के मो हसन रूमी और बीजेपी के रघुनंदन सिंह भदौरिया से भी टक्कर मिल रही थी। कैंट सीट पर मुस्लिम वोटर तो निकले लेकिन हिंदू वोटरों ने घर से उस संख्या में नहीं निकले। जिसनी उम्मीद लगाई जा रही थी।
घाटमपुर विधानसभा (218) सीट
कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है। बीजेपी और अपना दल (एस) के बीच हुए गठबंधन में कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट अपना दल (एस) के खाते में गई है। अपना दल (एस) ने इस सीट से सरोज कुरील को प्रत्याशी बनाया है। सरोज कुरील को घेरने के लिए बीजेपी छोड़कर एसपी में शामिल हुए भगवती सागर को अखिलेश यादव ने उतारा था। वहीं इस सीट पर बीएसपी भी पीछे नहीं थी। बीएसपी ने प्रशांत अहिरवार को प्रत्याशी बनाया था। इस सीट पर मतदाता ने वोटिंग करने में रूचि नहीं दिखाई है।
UP Election Info: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 403 विधानसभा सीट के लिए पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवां चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है। कुल 7 चरणों में होगा यूपी में चुनाव। मतगणना 10 मार्च को होगी।