सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath corridor) का लोकार्पण किया। उन्होंने ललिता घाट से गंगा जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक किया। शाम को वह गंगा आरती में शामिल होने के लिए दशाश्वमेध घाट पहुंचे।

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath corridor) का लोकार्पण किया। शाम को वह गंगा आरती में शामिल होने के लिए दशाश्वमेध घाट पहुंचे। क्रूज पर सवार होकर उन्होंने गंगा आरती और लेजर शो देखा। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी प्रधानमंत्री के साथ मौजूद थे। 

इससे पहले प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा-पाठ की और मंदिर के निर्माण में शामिल मजदूरों के साथ खाना खाया। उन्होंने मजदूरों के साथ फोटो भी खिंचाई। अपने संबोधन के दौरान मोदी ने काशी के लोगों के साथ पूरे देश से तीन संकल्प मांगे। उन्होंने कहा कि मैं हर भारतीय को भगवान का अंश मानता हूं। देश के लिए बाबा की पवित्र धरती से तीन संकल्प चाहता हूं। ये तीन संकल्प स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में वहीं की स्थानीय भाषा में लोगों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही अंतरआत्मा को जागृत कर देती है। हमने शास्त्रों में सुना है, जब भी कोई पुण्य अवसर होता है तो सारी दैवीय शक्तियां बनारस में बाबा के पास उपस्थित हो जाती हैं। कुछ ऐसा ही अनुभव आज मुझे बाबा के दरबार में आकर हो रहा है। आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। शुक्ल पक्ष दशमी तिथि एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं। यहां जो मंदिर लुप्त हो गए थे, उन्हें पुनर्स्थापित किया जा चुका है। 

जब काशी ने करवट ली तब कुछ नया हुआ
मोदी ने कहा कि काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रमानन्द जी के ज्ञान तक चैतन्य महाप्रभु, समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय तक कितने ही ऋषियों, योगाचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। सोमनाथ से लेकर विश्वनाथ तक हर ज्योतिर्लिंग का संस्मरण करने से हर संशय दूर होता है। तब असंभव क्या बचता है। जब भी काशी ने करवट ली तब कुछ नया हुआ है। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण भारत को एक निर्णायक दिशा देगा। ये परिसर हमारे सामर्थ्य का साक्षी है। विनाश करने वालों की शक्ति भारत की शक्ति और भक्ति से बड़ी नहीं हो सकी।

जब मैं बनारस आया था तब मुझे विश्वास था। खुद पर नहीं, बनारस के लोगों पर था। कुछ लोग कहते थे यह कैसे होगा। मोदी जी जैसे बहुत सारे लोग आए और चले गए। ऐसे तर्क दिए जाने लगे थे कि यहां कुछ नहीं हो सकता। ये जड़ता बनारस की नहीं थी। थोड़ी बहुत राजनीति थी, थोड़ा कुछ लोगों का निजी स्वार्थ। इसलिए बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे। लेकिन काशी तो काशी है। काशी में एक ही सरकार है...जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो, उस काशी को भला कौन रोक सकता है। यह जो कुछ भी हुआ है महादेव ने ही किया है। यहां जो कुछ होता है महादेव की ही इच्छा से होता है। ई विश्वनाथ धाम त बाबा आपन आशीर्वाद से बनइले हवन।


इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है
मोदी ने कहा कि औरंगजेब के अत्याचार का इतिहास साक्षी है। उसने तलवार के दम पर सभ्यता को बदलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। और अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं। आतंक के वो पर्याय इतिहास के काले पन्नों में सिमटकर रह गए। मेरी काशी आगे बढ़ रही है।

पीएम ने कहा कि हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है। हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं। चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं। आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है।

मोदी ने कहा कि यहां किसी के लिए पहुंचना सुगम हो चुका है। दिव्यांग भाई-बहन, बुजुर्ग माता-पिता बोट से सीधे जेटी तक आएंगे। घाट तक आने के लिए एस्क्लेटर लगाए गए हैं। वहां से सीधे मंदिर आ सकेंगे। संकरे रास्तों की वजह से मंदिर तक आने में जो परेशानी होती थी अब वह कम होगी। यहां मंदिर पहले 3000 वर्ग फीट में था, वह अब करीब 5 लाख वर्गफीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50-60 और 70 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं। प्रधानमंत्री ने संबोधन खत्म करने के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में लगे शिलापट का भी उद्घाटन किया। इससे पहले उन्होंने ललिता घाट से गंगा जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक किया।

 

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