सार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा कि नाम में कुमार न जुड़ने के कारण सिद्धार्थ नगर जेल के अधीक्षक ने जमानत पर रिहा करने से इनकार करके अवैध निरुद्धि में बनाए रखा था। वहीं, कोर्ट के आदेश पर हाजिर जेल अधीक्षक राकेश सिंह ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि अभियुक्त को सात दिसंबर, 2020 को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
प्रयागराज (Uttar Pradesh) । सिद्धार्थ नगर जेल के अधीक्षक की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को कड़ी फटकार लगाई है। बता दें कि एक शख्स के जमानत आदेश में उसके नाम के आगे कुमार शब्द छूट गया था, जिसके चलते उसे आठ माह अतिरिक्त जेल में रहना पड़ा, क्योंकि नाम मेल न खाने के कारण जेल अधीक्षक ने उसे बाहर नहीं किया था।
यह है पूरा मामला
सत्र न्यायालय ने विनोद कुमार बरूआर की जमानत अर्जी चार सितंबर, 2019 को निरस्त कर दिया था। इस पर हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। जहां से 9 अप्रैल, 2020 को जमानत मंजूर कर ली गई थी। जमानत पर छोड़ने के आदेश में विनोद बरूआर लिखा था, जबकि रिमांड आदेश में विनोद कुमार बरूआर था। जिसके कारण जेल अधीक्षक ने उसे जमानत पर रिहा नहीं किया।
कोर्ट ने लगाई जेल अधीक्षक को फटकार
विनोद कुमार बरूआर को जमानत पर रिहा न होने पर इस पर याची ने आदेश संशोधित करने की अर्जी दाखिल की। जिसमें बताया कि जमानत आदेश में नाम के बीच से कुमार छूटने के कारण अभियुक्त को आठ महीने अतिरिक्त जेल में रहना पड़ा। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जेल अधीक्षक सिद्धार्थ नगर को फटकार लगाई और भविष्य में अधिक सावधानी बरतने की नसीहत दी है।
सात दिसंबर को किया रिहा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा कि नाम में कुमार न जुड़ने के कारण सिद्धार्थ नगर जेल के अधीक्षक ने जमानत पर रिहा करने से इनकार करके अवैध निरुद्धि में बनाए रखा था। वहीं, कोर्ट के आदेश पर हाजिर जेल अधीक्षक राकेश सिंह ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि अभियुक्त को सात दिसंबर, 2020 को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
(प्रतीकात्मक फोटो)