सार
गोरखपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दोस्ती के रिश्ते की मिसाल कायम कर दी है। परदेश में दोस्त की तबियत खराब होने के बाद जब उसके कई सगे संबंधी साथ छोड़कर भाग खड़े हुए और अस्पताल तक पहुंचाने से इंकार कर दिया तब एक दोस्त सामने आया और न सिर्फ उसका इलाज करवाया बल्कि उसे लेकर उसके गांव तक भी आया
गोरखपुर(Uttar Pradesh). देश में चल रहे कोरोना संकट से फैली दहशत ने कई ऐसे रिश्तों की पोल खोल कर रख दी है जो साथ जीने- मरने की कसमे खाते हैं । इस महामारी में जहां लोग अपनों की लाश तक लेने से इंकार कर दे रहे हैं वहीं गोरखपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दोस्ती के रिश्ते की मिसाल कायम कर दी है। परदेश में दोस्त की तबियत खराब होने के बाद जब उसके कई सगे संबंधी साथ छोड़कर भाग खड़े हुए और अस्पताल तक पहुंचाने से इंकार कर दिया तब एक दोस्त सामने आया और न सिर्फ उसका इलाज करवाया बल्कि उसे लेकर उसके गांव तक भी आया। इस दौरान कोरोना संक्रमित दोस्त का साथ छोड़ने के लिए उसके घर वाले तमाम कसमें देते रहे लेकिन उसने सभी कसमों को तोड़ते हुए दोस्ती की रिश्ते को सबसे ऊपर रखा ।
मामला गोरखपुर के असिलाभार गांव का है। इस गांव का रहने वाला चंद्रशेखर बेरोजगार था। कुछ महीने पहले ही उसे गांव के रहने वाले एक दोस्त ने दिल्ली के फरीदाबाद में काम दिलवाया तो चंद्रशेखर के खुशी का ठिकाना नहीं रहा । चंद्रशेखर का दोस्त पहले से ही फरीदाबाद में रहकर नौकरी करता था। चंद्रशेखर भी अपने दोस्त व एक अन्य के साथ एक ही कमरे में रहने लगा। तीसरा व्यक्ति चंद्रशेखर के दोस्त का करीबी था। चंद्रशेखर के फरीदाबाद जाने से कुछ महीने बाद ही कोरोना संकट शुरू हो गया। इसी बीच उसके दोस्त की तबियत खराब हुई और वह बेहोश हो गया ।
तीसरा दोस्त छोड़कर भागा
दोस्त की तबियत खराब होने और बेहोश होने से उनका तीसरा साथी डर गया और दोस्त को उसी हालत में छोड़कर वहां से भाग निकला। लेकिन चंद्रशेखर ने दोस्त का साथ नही छोड़ा। वह उसे लेकर अस्पतालों में भटकता रहा लेकिन कोई फायदा नही हुआ । अंत में वह उसे लेकर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पहुंचा। वहां उसे पता चला कि उसके दोस्त को दिल की बीमारी है। चंद्रशेखर के घर वालों को जब ये बात पता चली की भीषण महामारी के बीच चंद्रशेखर अस्पताल में रुक कर अपने दोस्त का इलाज करवा रहा है तो उन्होंने चंद्रशेखर को वापस आने को कहा।
दोस्ती के रिश्ते में तोड़ दी बीवी की कसम
चंद्रशेखर की पत्नी ने उसकी चिंता करते हुए उससे घर वापस आने को कहा। उसने चंद्रशेखर को कसम भी दी, लेकिन चंद्रशेखर ने कहा कि अगर वह दोस्त को इस हालत में अकेले छोड़कर भाग आएगा तो कभी खुद से नजरें नहीं मिला पाएगा। चंद्रशेखर ने पत्नी की कसम तोड़ते हुए दोस्त का इलाज करवाता रहा। हालत में सुधार होने पर वह दोस्त को एम्बुलेंस से लेकर वापस गांव आया। यहां पर जब दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तो चंद्रशेखर का दोस्त कोरोना पाजिटिव निकला। लेकिन चंद्रशेखर की रिपोर्ट निगेटिव आई ।
घर पहुंचा तो छलक आई पत्नी की आंखें
गोरखपुर पहुंचने पर बीमार दोस्त कोरोना पॉजिटिव मिला तो मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। चंद्रशेखर को क्वारंटीन कर उसकी भी दो बार जांच हुई। रिपोर्ट निगेटिव आई। बीते सोमवार को घर पहुंचा तो बीवी की आंखें छलक पड़ीं। चंद्रशेखर का पूरा परिवार उसके पास खड़ा था लेकिन उसके मन में एक सुकून था कि उसने अपने दोस्त को मौत के मुहं में नही छोड़ा। दोस्त का परिवार ही चंद्रशेखर का आभार जताते नही थक रहा।