सार

 श्री कृष्ण जन्मस्थान को लेकर रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया गया है। रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि ये मामला मालिकाना हक नहीं है, बल्की अवैध कब्जे का है।

मथुरा : ज्ञानवापी के बाद अब मथुरा को लेकर रिवीजन पिटीशन दायर की गई है। श्री कृष्ण जन्मस्थान की देखभाल कर रही संस्था श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत करते हुए एक बड़ा बयान दिया है।  उन्होंने कहा कि 'जिस तरह से जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक एवं अन्य बिंदुओं पर चर्चाएं चल रही हैं, दरअसल ये मामला मालिकाना हक का है ही नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के स्वामित्व की भूमि पर स्थित ईदगाह पर मुस्लिम पक्ष के अवैध कब्जे का है'।

इस पूरे मामले पर क्या कहा सचिव कपिल शर्मा ने
इस पूरे मामले को लेकर  सचिव कपिल शर्मा ने आगे कहा है कि '15.70 एकड़ जमीन खरीदी थी। 16 मार्च 1815 को ईस्ट इंडिया कम्पनी की ओर से कटरा केशवदेव परिसर को नजूल भूमि के रूप में खुली नीलामी कर राजा पटनीमल को दे दिया था। जिसे भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर निर्माण के उद्देश्य से सर्वाधिक ऊंची बोली लगाकर खरीदा गया था। 1882 में वृंदावन के लिए डाली गई रेल लाइन के उपयोग के लिए 2.33 एकड़ जमीन की जरूरत हुई। जिसे राजा पटनी मल के वंशज राय नरसिंह दास व राय नारायन दास ने रेलवे को दे दिया।'

श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13. 37 एकड़ भूमि
दरअसल, हरिशंकर जैन ने न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन में श्री कृष्ण विराजमान के नाम से एक पिटीशन दायर की थी।  जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13. 37 एकड़ ज़मीन जिस पर शाही ईदगाह बनी हुई है उस पर ईदगाह का कब्जा है। उन्होंने ये मांग की है कि जन्मभूमि को वापस दिया जाए। यह वाद 30 सितंबर 2020 को सीनियर सिविल जज की कोर्ट ने खारिज किया था। जिसके बाद हरिशंकर जैन ने जिला न्यायालय में रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी। इसी के बाद जिला अदालत ने चार विपक्षी पक्षकारों को नोटिस जारी किए थे।  न्यायालय में लंबी सुनवाई के बाद आज जिला जज ने हरिशंकर जैन की याचिका पर अहम फैसला सुनाया है।

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