सार
यूपी के मेरठ के मंगतपुरम में बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन कराने की साजिश को अंजाम दिया जा रहा था। पुलिस ने इस मामले के पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं इस मामले के दो मुख्य साजिशकर्ता अभी भी फरार हैं।
मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के मंगतपुरम में मदद के नाम पर 400 लोगों का धर्मांतरण करवाने की साजिश में पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। वहीं मंगतपुरम में रहने वाली छबीली उर्फ शिवा को पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस ने जांच के बाद रेलवे रोड निवासी अनिल पास्टर और दिल्ली का रहने वाला महेश पास्टर को भी नामजद किया है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दिल्ली में लगातार दबिश दे रही है। एसपी सिटी पियूष सिंह के अनुसार, महेश पास्टर और अनिल पास्टर इस धर्मांतरण के खेल के मुख्य साजिशकर्ता हैं। बता दें कि अनिल पास्टर का गुरु महेश पास्टर है।
मुख्य आरोपियों की पुलिस कर रही तलाश
इन दोनों ने मिल कर धर्मांतरण की पूरी साजिश रची थी। इसके अलावा 400 लोगों के धर्मांतरण के लिए फंडिंग भी की गई थी। हालांकि दोनों आरोपी फरार हैं। पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ दबिश दे रही है। एसपी सिटी पियूष सिंह ने खुद मंगतपुरम जाकर मामले की जांच-पड़ताल की है। उन्होंने कहा कि प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दूसरी तरफ इंटेलीजेंस द्वारा शासन को गोपनीय रिपोर्ट भेज दी गई है। वहीं खुफिया एजेंसी ने केंद्र सरकार को भी मामले की रिपोर्ट भेज दी गई है। बता दें कि पुलिस इस मामले में विदेशी फंडिंग के तार तलाश रही है। पुलिस का कहना है कि मास्टरमाइंड अनिल पास्टर की महेश पास्टर से पुरानी जान-पहचान है।
लालच देकर कराया जा रहा था धर्मांतरण
अनिल पास्टर ने महेश पास्टर ने जानकारी दी थी कि यदि मंगतपुरम के लोगों को कुछ लालच दिया जाएगा तो बड़ी संख्या में लोग धर्मातंरण के लिए तैयार हो जाएंगे और ईसाई समाज से जुड़ जाएंगे। इसके बाद कोरोना काल में अनिल पास्टर ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों से महेश पास्टर की मुलाकात करवाई थी। जिसके बाद से धर्म परिवर्तन का सिलसिला शुरू हो गया था। मामला सामने आने के बाद पुलिस सर्विलांस के जरिए दोनों की लोकेशन तलाशने में जुटी है। इसके अलावा पुलिस इस नेटवर्क की सीडीआर भी खंगाल रही है। पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ही फंडिंग के बारे में विस्तार से जानकारी हो पाएगी। शुरूआती जांच में इस मामले के विदेशी फंडिंग से तार जुड़ते दिखाई दे रहे हैं।