सार

कानपुर में हिंसा को भड़काने वाले चर्चित मुख्तार बाबा की अब धीरे धीरे पोल खुल रही है। बिरयानी शॉप से करोड़पति बने मुख्तार बाबा, लेकिन अब पुलिस की गिरफ्त में है।

कानपुर: यूपी के कानपुर के बेकनगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत बहुचर्चित बिरियानी शॉप बाबा बिरियानी का संचालक मुख्तार बाबा के करोड़पति बनने की कहानी काफी  दिलचस्प है। लेकिन अब उसकी किस्मत भी उसके साथ नज़र नहीं आ रही है। नुपुर शर्मा के बयान के बाद हुई हिंसा मामले में बाबा जेल की हवा खा रहे है। लेकिन उन सबके बीच उनके करोड़पति बनने की कहानी भी सामने आई है।

जानिए क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि सन 1968 में बाबा बिरियानी के संचालक मुख्तार बाबा के पिता मोहम्मद इशहाक अहमद उस वक्त बने राम जानकी मंदिर के नीचे पंचर की छोटी सी दुकान लगाते थे। इसके बाद जब मुख्तार बाबा का जन्म हुआ तो उसने भी अपने पिता की दुकान में काम करना शुरू कर कर दिया था। बाबा ने कुछ समय के लिए   ब्रेड और दूध बेचने का एक छोटा सा काउंटर लगा लिया था। यह सिलसिला चल ही रहा था कि 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद प्रदेश दंगे की आग में जल उठा और फिर उसके बाद मानो मुख्तार बाबा की किस्मत ही खुल गई। 

दबंगई और चालाकी से मुख्तार बाबा बना करोड़पति
कानपुर का मुख्तार बाबा खुद को किसी माफिया से कम नहं समझता है। बाबा के करोड़पति बनने के पीछे कहीं ना कहीं चालाकी और दबंगई करने के बाद इस मुकाम पर पहुंचा है। मुख्तार बाबा ने गम्मू खां हाते में कई लोगों का घर खाली कराकर 300 वर्ग गज जगह पर अपना कब्जा जमा लिया और फिर 50-50 वर्ग गज की कटिंग कर प्लॉट बेचने का सिलसिला शुरू किया और फिर यहीं से बाबा कि किस्मत पलटी और वो बड़ा आदमी बनने की तरफ बढ़ चला। वहीं दूसरी तरफ शहर में एक समय आतंक का पर्याय बने D-2 गैंग की बिरयानी पार्टी मुख्तार बाबा की बिरयानी की दुकान में होती थी, जिसके चलते मुख्तार बाबा का कनेक्शन गैंग के सदस्यों से लेकर सरगना तक था।

हिंसा की फंडिंग करने वाले मुख्तार बाबा को किया गिरफ्तार
मसहूर बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा पर पिछले कई दिनों से पुलिस शिकंजा कसती जा रही थी, जिसके बाद मुख्तार बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी की पुष्टि ज्वाइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी ने की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक मुख्तार बाबा ने परेड हिंसा में फंडिंग की थी। सूत्रों की मानें तो पूछताछ में ये भी निकलकर आया है कि हयात मुख्तार बाबा से फंड जुटाता था। वहीं, मुख्तार बाबा पहले से ही शत्रु संपत्ति मामले में जिला प्रशासन और केंद्र के अभिरक्षक कार्यालय के निशाने पर है। 

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