सार
भारतीय जनता पार्टी ने सपा में बड़ी सेंधमारी करते हुए मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा यादव को पार्टी की सदस्यता दिला दी है। लखनऊ कैंट सीट की प्रबल दावेदार मानी जा रही अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के बाद कई नेताओं की नाराजगी भी सामने आ सकती है। माना जा रहा है कि बेटे मंयक जोशी के लिए टिकट की मांग कर रही सांसद रीता बहुगुणा जोशी पार्टी के इस फैसले से नाखुश हो सकती हैं। हालांकि अभी तक इसपर उनकी कोई प्रक्रिया सामने नहीं आई है।
गौरव शुक्ला
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने सपा में बड़ी सेंधमारी कर दी है। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) ने बुधवार 19 जनवरी 2022 को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि मेरे चिंतन में राष्ट्र सबसे पहले है। अब मैं राष्ट्र की आराधना करने के लिए निकली हूं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से प्रधानमंत्री से प्रभावित रहती है।
बीजेपी को झेलनी पड़ सकती है रीता बहुगुणा की नाराजगी
अपर्णा यादव के सपा से मोहभंग और भाजपा में शामिल होने का सबसे बड़ा कारण लखनऊ कैंट सीट बताई जा रही है। हालांकि अपर्णा को बीजेपी में शामिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी को नुकसान भी हो सकता है। दरअसल सांसद रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट की सीट से अपने बेटे मयंक जोशी के लिए पार्टी से टिकट मांग रही हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह बेटे के टिकट के लिए सांसद पद से इस्तीफा तक देने को तैयार हैं। लेकिन अब अपर्णा के बीजेपी में शामिल होने और कैंट से मयंक जोशी को टिकट न मिलने पर रीता बहुगुणा जोशी की नाराजगी भी पार्टी के सामने आ सकती है।
पहले भी कैंट से दांव आजमा चुकी हैं अपर्णा यादव
लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से अपर्णा यादव 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर दांव आजमा चुकी हैं। उन्हें तकरीबन 61 हजार वोट ही मिले थे। आपको बता दें कि 2017 चुनाव में बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें(अपर्णा यादव) 33,796 वोटों से हराया था। रीता को 95,402 वोट मिले थे, जबकि अपर्णा महज 61,606 वोट ही हासिल कर पाई थीं।
जानिए क्या है कैंट सीट का जातीय समीकरण
कैंट सीट ब्राह्मण बाहुल्य है। इस सीट पर तकरीबन 1 लाख वोटर ब्राह्मण है। यहां सिंधी-पंजाबी वोटर की संख्या तकरीबन 65 हजार है। वहीं यहां मुस्लिम आबादी 25 हजार के करीब है। जबकि यादव जाति के वोट करीब 20 हजार और ठाकुर जाति के वोट करीब 15 हजार हैं।
बीजेपी का गढ़ है लखनऊ कैंट सीट
लखनऊ कैंट विधानसभा की सीट बीजेपी का गढ़ है। यहां 2017 के चुनाव में रीता बहुगुणा जोशी को टिकट मिला था और उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद उपचुनाव में बीजेपी के सुरेश तिवारी एक बार फिर यहां से विधायक बनें। ज्ञात हो कि सुरेश तिवारी यहां से तीन बार(1996, 2002 और 2007) में बीजेपी का परचम फहरा चुके हैं। 2012 में यह सीट रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस के टिकट पर जीती थी।
कैंट से है बीजेपी के दावेदारों की लंबी लिस्ट
सियासी समीकरण के हिसाब से बीजेपी के लिए मुफीद कही जाने वाली इस सीट पर दावेदारों की लिस्ट भी काफी लंबी है। यहां पहले नंबर पर खुद विधायक सुरेश तिवारी का नाम है। इसके बाद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह, महापौर संयुक्ता भाटिया की पुत्रवधू भी इसी सीट से दावेदारी कर रही हैं।