सार
यूपी के मुजफ्फरनगर में बारिश के दौरान कच्चे मकान की छत गिरने से परिवार के सदस्य मलबे के नीचे दब गए। मलबे में दबे परिवार के सदस्यों को निकालने में काफी समय बीत गया। इस दौरान 45 मिनट तक परिजन मलबे के नीचे दबे रहे।
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मिमलाना गांव में बारिश के कारण एक कच्ची मकान की छत गिर गई। छत गिरने से लोहे के गार्डर के नीचे दबे परिवार के सदस्य मदद के लिए 45 मिनट तक तड़पते रहे। इस दौरान घायलों को करीब एक घंटे बाद इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। जबकि घटनास्थल से अस्पताल 5 मिनट की दूरी पर मौजूद है। इस दौरान गार्डर के नीचे दबने से परिवार के 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। वहीं भाई-बहन की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि आसपास के लोगों ने घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया। वहीं कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ित परिवार का हालचाल लिया और आर्थिक मदद के तौर पर परिवार को 9 लाख रुपए दिलाने की घोषणा की है।
घायलों को समय पर नहीं मिला इलाज
घटना के दौरान मिमलाना निवासी आस मोहम्मद रात को घर के दरवाजे के पास सोए थे। जबकि उनकी पत्नी सलमा, बेटे शानू, जुनेद, शोएब, बेटी सना और कलसुम कमरे में सो रहे थे। रात में करीब पौने दो बजे के आसपास मकान गिर गया। लोहे का गार्डर सो रहे बच्चों के ऊपर गिर गया। इस हादसे से उनके घर में चीखपुकार मच गई। आस मोहम्मद ने शोर मचाया तो आसपास के लोग मौके पर एकत्र हो गए। वहीं किसी ने हादसे की जानकारी एसडीएम सदर परमानंद झा को दी। सूचना मिलने पर एसडीएम ने घटनास्थल पर एंबुलेंस भिजवाई और खुद भी मौके पर पहुंचे। मलबे के नीचे दबे परिवार को बाहर निकाला गया। इस दौरान 11 साल की सना और 16 साल के शोएब की मौत हो गई थी। वहीं अन्य घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
हादसे में दो बच्चों की हुई मौत
आस मोहम्मद के पड़ोसी नियाजुदीन ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि लोग मदद के लिए जल्दी एकत्र हो जाते तो शायद मलबा हटाने में इतनी देर नहीं होती और बच्चों की जान बच जाती।बताया जा रहा है कि आस मोहम्मद के परिवार के पास एक ही कमरा था। परिवार के सभी लोग इसी एक कमरे में रह कर अपना गुजारा कर रही थी। रसोई से लेकर भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े सब एक ही कमरे में मौजूद था। बच्चों की मौत होने के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार के लिए गांव के लोगों ने चंदा एकत्र किया। बता दें कि आसपास मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं। इस कारण 100-100 रुपए का चंदा एकत्र करना पड़ा। जिसके बाद ग्रामीमों ने ही आस मोहम्मद के दोनों मृतक बच्चों के शवों को सुपुर्द ए खाक किया गया।