सार

कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट्स एक्ट-1967 की धारा छह में आवेदन को निरस्त करने के लिए कुछ शर्तें दी गईं हैं। अगर उन शर्तों में कोई नहीं आ रहा है तो याची पासपोर्ट पाने का हकदार है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला प्रमोद कुमार राजभर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व दो अन्य के मामले में सुनाया है।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) ने अपने एक आदेश में कहा है कि राज्य की अपील लंबित होने के कारण किसी के पासपोर्ट (Passport) के आवेदन को निरस्त नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट्स एक्ट-1967 की धारा छह में आवेदन को निरस्त करने के लिए कुछ शर्तें दी गईं हैं। अगर उन शर्तों में कोई नहीं आ रहा है तो याची पासपोर्ट पाने का हकदार है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला प्रमोद कुमार राजभर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व दो अन्य के मामले में सुनाया है।

मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि अगर कोई आरोपी ट्रायल कोर्ट से सजा मुक्त हो चुका हो और उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया है तो उसके आवेदन पर निर्णय लिया जाना चाहिए। उसके आवेदन को इस आधार पर निरस्त नहीं किया जा सकता है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य ने अपील दायर की है।

मामले में याची ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन, पासपोर्ट अथॉरिटी ने इस आधार पर पर उसके आवेदन को निरस्त कर दिया कि उसके खिलाफ राज्य ने अपील दायर की है। याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 ए, 506, 376 और पॉस्को एक्ट की धारा 3/4 में बलिया जिले के पकड़ी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने आरोप सिद्ध न होने पर दोषी को बरी कर दिया।

ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य ने अपील फाइल की है। ट्रायल कोर्ट से बरी होने के बाद याची ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। उसके आवेदन को पासपोर्ट अथॉरिटी ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उसके खिलाफ राज्य की ओर से दाखिल अपील लंबित है। लेकिन, हाईकोर्ट ने कहा कि अपील लंबित होने से उसके आदेवन को निरस्त नहीं किया जा सकता है।

याची पासपोर्ट पाने का हकदार है। क्योंकि, वह पासपोर्ट एक्ट-1967 की धारा छह में दी गई किसी शर्त में नहीं आ रहा है। हाईकोर्ट ने पासपोर्ट अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वह याची के आवेदन पर विचार करते हुए तीन महीने में पासपोर्ट प्रदान करे।