सार
शनिवार को यूपी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन किया। जिसके बाद अब 14 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और क्षेत्र के लगभग 30 लाख किसानों को फायदा पहुंचेगा। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे।
बलरामपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लगातार उत्तर प्रदेश की जनता को अलग अलग परियोजनाओं का तेजी से लाभ देते हुए नजर आ रहे हैं। गोरखपुर (AIMS in gorakhpur) से प्रदेश की जनता को एम्स की सौगात देने के बाद अब शनिवार को यूपी के जिला बलरामपुर (Balrampur) पहुंचकर पीएम मोदी ने सरयू नहर परियोजना का उद्घाटन करते हुए उसकी शुरुआत की।पीएम मोदी ने सबसे पहले राज्यपाल व सीएम के साथ सरयू नहर परियोजना से संबंधित मॉडल का निरीक्षण किया। उसके बाद बटन दबाकर देश की सबसे बड़ी सिंचाई परियेाजना का शुभारंभ किया।
जब सोच ईमानदार होती है तो काम दमदार होता है : PM मोदी
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि क्रांतिकारियों की इस धरती ने देश की स्वतंत्रता में अपना असीम योगदान दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हर किसान के खेत तक पानी पहुंचे यही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उसका सबूत है सरयू नहर परियोजना का पूरा होना है। जब सोच ईमानदार होती है तो काम दमदार होता है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने अयोध्या का जिक्र करते हुए कहा कि अयाेध्या में बन रहे प्रभु श्रीराम के मंदिर की जब जब बात होगी, तब तब बलरामपुर रियासत के महाराजा पाटेश्ववरी प्रसाद सिंह का उल्लेख जरूर होगा।
5 नदियों को जोड़ेगी यह 'सरयू नहर परियोजना'
सरयू नहर परियोजना 1971-72 में शुरू हुई थी लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद यह परियोजना परवान चढ़ सकी। वर्ष 2018 से इस परियोजना के कार्य में तेजी आई और इसे राष्ट्रीय परियोजना मे शामिल किया गया। आपको बता दें कि पांच नदियों को जोड़ने वाली यह परियोजना बलरामपुर, श्रावस्ती, गोंडा, बहराइच, बस्ती, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर व गोरखपुर के किसानों को लाभान्वित करेगी।
30 लाख किसानों को मिलेगा लाभ
9802 करोड़ से बनी परियोजना के शुरू होने से भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के नौ जिलों के करीब साढ़े 14 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने लगेगी। इस परियोजना की शुरुआत के साथ ही करीब 30 लाख किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलना शुरू हो गया। आपको बता दें कि यह परियोजना लगभग 50 साल से अधूरी थी।