सार
यूपी के मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में केवल मुलायम सिंह के नाम पर सियासत की जा रही है। बता दें कि इस चुनाव में अन्य मुद्दों को दरकिनार कर भाजपा और सपा दिंवगत नेताजी के नाम पर इमोशनल कार्ड खेल रही है।
मैनपुरी: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट पर होने वाले उपचुनाव की सियासी जंग बेहद रोचक मोड़ पर है। जहां एक ओर समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह की विरासत को बचाने की पूरी तैयारी में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा सपा के इस गढ़ को भेदने की तैयारी में है। दोनों पार्टियां के बीच सियासी मैदान में इमोशनल जंग जारी है। करीब 18 महीने बाद मैनपुरी के मतदाता अपना सांसद चुनने जा रहे हैं। बता दे कि इस लोकसभा का कार्यकाल मई 2024 में समाप्त हो जाएगा। यह उपचुनाव केवल नेताजी के नाम पर लड़ा जा रहा है। वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ जब पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव नामांकन करने पहुंची थी तब भी उन्होंने मुलायम सिंह का जिक्र किया था।
बीजेपी प्रत्याशी के खुद को बताया नेताजी का शिष्य
वहीं सपा अध्यक्ष भी मुलायम सिंह का नाम लेते रहते हैं। इसके अलावा बीजेपी प्रत्याशी रघुराज शाक्य ने खुद को नेताजी का शिष्य बताते हुए नामांकन दाखिल किया था। बता दें कि बीजेपी ने रघुराज शाक्य को मैदान में उतार कर सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को कड़ी टक्कर दी है। क्योंकि रघुराज शाक्य भी मुलायम सिंह के शिष्य है। जब रघुराज नामांकन करने आए तो उन्होंने भी नेताजी के नाम का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि नेताजी उनके गुरू हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गुरू की विरासत पर शिष्य का अधिकार होता है ना कि पुत्र का। नामांकन दाखिल करने से पहले वह मुलायम सिंह की समाधी पर भी गए थे। बीजेपी और सपा मुलायम सिंह को लेकर इमोशनल कार्ड खेल रही है।
सपा का मजबूत किला है मैनपुरी
इस चुनाव में अन्य मुद्दे गायब हैं। सड़क, बिजली, पानी, सुरक्षा, सेहत से जुड़े मुद्दे फिलहाल दरकिनार हैं। बता दें कि मैनपुरी हमेशा से अजेय रही है। इसे भाजपा एक बार भी लोकसभा से नहीं जीत पाई है। इसलिए सीधे-सीधे यह चुनाव मुलायम सिंह के नाम पर हो रहा है। इसलिए भाजपा भी सपा पर अक्रामक होने की जगह मुलायम के अपमान का जिक्र करके सैफई परिवार को घेर रही है। वहीं नेताजी के समधी और पूर्व विधायक भाजपा नेता हरिओम यादव कहते हैं कि जिन लोगों ने मुलायम सिंह का अपमान किया और धोखे से पार्टी पर कब्जा कर लिया। उन लोगों पर मैनपुरी की जनता को भरोसा नहीं करना चाहिए। साथ ही उन्हें मुलायम सिंह की विरासत पर सियासत करना शोभा करना नहीं देता है।
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