सार


यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने डिजिटल प्रचार करने के फैसले से उस दूरी को खत्म किया जा सकता है जो बड़ी-बड़ी रैलियों में जनता और नेताओं के बीच रहती है। डिजिटल प्रचार में जनता खुद को नेताओं के करीब पा रही है।

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने रैलियों, रोड-शो, पदयात्राओं पर बैन लगा रखा है। जिसकी वजह से नेताओं को डिजिटल प्रचार भी करना पड़ रहा है। डिजिटल प्रचार के साथ-साथ नेताओं को क्रिएटिव होना पड़ रहा है। जिसकी वजह से कई बार असहजता वाली स्थिति पैदा हो जाती है। यूपी विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की प्रचार अभियान कमान संभाल रही हैं। उस वजह से प्रियंका को ऑनलाइन सवालों का समाना भी करना पड़ रहा है। प्रियंका अकेली ऐसी नेता नहीं हैं जिन्हें ऐसे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल हैं। अखिलेश को यूट्यूब चैनल पर लाइव के दौरान एक फॉलोअर ने नसीहत दे डाली थी। यह हाल उन सभी जगहों पर हैं, जहां विधानसभा चुनाव होने है। नेताओं को डिजिटल प्रचार करने में विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ तालमेल बिठाने में थोड़ी परेशानी हो रही है। तो चलिए जानते है डिजटल प्रचार में लोग क्या बोल रहे-

अखिलेश को मिली नसीहत-
बता दे कि पिछले हफ्ते अखिलेश यादव के यूट्यूब चैनल से एक लाइव सेशन हुआ था। इस दौरान Localpedia नाम के यूजर ने कमेंट्स सेक्शन में लिखा, " चंद्रशेखर जी के साथ गठबंधन न करके बहुत गलत किया...इसका नुकसान हो जाएगा आपको।" सपा के इस लाइव इंटरऐक्शन को पार्टी के सोशल मीडिया मैनेजर्स बेहद करीब से देख रहे थे। 

प्रियंका से पूछे गए पर्सनल सवाल-
फेसबुक लाइव आए दिन प्रियंका करती रहती है, उसी दौरान प्रियंका से बचपन में राहुल गांधी से लड़ने पर सवाल पूछा गया था। 18 जनवरी को एक और लाइव सेशन में उनसे बच्चों के होमवर्क को लेकर सवाल हुआ। जवाब में प्रियंका ने कहा था, " आज भी, जब मैं काम के सिलसिले में ट्रेवल करती हूं तो जरूरत पड़ने पर उनके असाइनमेंट्स डिस्कस करती हूं...और जब वे बच्चे थे तब उनके कुछ दोस्त भी आते थे क्योंकि मैं उनकी असाइनमेंट आंटी थी।" उनका असाइनमेंट आंटी कंमेट करते ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

ऐसे सवालों से यह साफ जाहिर है कि लोग नेताओं से इस तरह सवाल कर पा रहे हैं तो उसकी वजह से उस दूरी को खत्म किया जा सकता है जो बड़ी-बड़ी रैलियों में जनता और नेताओं के बीच रहती है। डिजिटल प्रचार में जनता खुद को नेताओं के करीब पा रही है। महामारी के चलते जो फैसला निर्वाचन आयोग ने लिया, उससे जाहिर है कि लोग नेताओं से कहीं न कहीं करीब होगें।