सार

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं हैं। किसान आंदोलन का फायदा जो भी दल उठाना चाहता है उठा ले, पर किसानों और गरीबों की बात करें।

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सभी दल के नेताओं के बयानों का सिलसिला जारी हैं। हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि 'उनकी लड़ाई सरकार के खिलाफ है। किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है। लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि विपक्ष के उम्मीदवार की काउंटिंग तो जीरो से शुरू होगी और सत्ता पक्ष के उम्मीदवार की 15 हजार से। ये वे वोट होंगे जो सरकारी अधिकारियों से पोस्टल बैलेट के जरिए पहले ही तैयार कराए जा रहे हैं। वो आगे कहते है कि चुनाव आयोग को इन व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए। चुनाव में हिंदू मुस्लिम के फॉर्मूले अब पुराने हो चुके हैं। किसान आंदोलन का फायदा जो भी दल उठाना चाहता है उठा ले, पर किसानों और गरीबों की बात करें।

टिकैत, हरिनाम सिंह वर्मा व अन्य यूनियन पदाधिकारियों ने कमिश्नरी और आईजी कार्यालय पर ज्ञापन दिया। इसमें उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी प्रकरण में अब तक सरकारी तंत्र ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। मृत किसानों के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी नहीं मिली है। न ही सुरक्षा के लिए उन्हें शस्त्र लाइसेंस दिए गए। 

बता दे कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि किसानों और सरकार के बीच हुए समझौते में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक कमेटी के गठन की बात थी, लेकिन सरकार ने अब तक इस कमेटी का गठन नहीं किया है। एसडीएम के दफ्तरों पर धरना किया जाएगा। इस धरने का उद्देश्य मात्र एमएसपी पर अबतक कमेटी न बनाने के विरोध में दिया जाएगा। इसलिए पूर देश के किसान 31 जनवरी को धरना देंगे। यानी की 31 तारीख को हम लोग वादाखिलाफी दिवस के रूप में मनाएंगे।