सार
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर आकार ले रहा है। मंदिर के गर्भगृह को अगले साल के आखिर यानी दिसंबर, 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद से श्रद्धालु गर्भगृह में रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
नई दिल्ली/अयोध्या। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) स्थित श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) में रामलला (Ramlala) का भव्य मंदिर आकार ले रहा है। इस मंदिर को प्राचीन शैली और परंपरा के साथ ही आधुनिक इंजीनियरिंग के मेलजोल से तैयार किया जा रहा है। मंदिर को जहां नागर शैली में बनाया जा रहा है, वहीं इसका मुख्य द्वारा गोपुरम स्टाइल में होगा। इसी तरह मंदिर को भूकंप से बचाने के लिए इसमें मॉर्डर्न तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह 1000 साल तक टस से मस नहीं होगा। मंदिर निर्माण के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बात की। उन्होंने मंदिर का काम पूरा होने के लिए दो अलग-अलग डेडलाइन बताई हैं।
पहली डेडलाइन : दिसंबर, 2023
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, राम मंदिर का काम तेजी से चल रहा है और हमारा लक्ष्य है कि दिसंबर, 2023 तक हम गर्भगृह का काम पूरा कर लेंगे। इसके बाद रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कर उन्हें यहां स्थापित किया जाएगा और श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
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दूसरी डेडलाइन : दिसंबर, 2024
नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि 2024 के आखिर तक मंदिर के सभी फ्लोर बन जाएंगे। हालांकि, इसके बाद भी मंदिर के अंदर की नक्काशी की जाएगी क्योंकि मूर्ति निर्माण का काम चलता रहेगा। वहीं, मंदिर के आसपास की 67 एकड़ जमीन, जिसे मंदिर परिसर कहा जाएगा वहां भी काम होता रहेगा। यहां रामलला के जीवन से जुड़े लोगों के मंदिर बनाए जाएंगे। इनमें वाल्मीकी मंदिर, शबरी मंदिर और निषाद राज मंदिर शामिल हैं।
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राम मंदिर के लिए कब-कब क्या हुआ :
- 9 नवंबर, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट बनाने को कहा।
- 5 फरवरी, 2020 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में राम मंदिर के लिए ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया।
- 19 फरवरी, 2020 : राम मंदिर ट्रस्ट के लिए 15 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई।
- 5 अगस्त, 2020 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में शिलापूजन कर राम मंदिर की आधारशिला रखी। इसके बाद मंदिर बनने का काम शुरू हुआ।
- 20 जनवरी, 2021 : राम मंदिर के लिए नींव खुदाई का काम शुरू हुआ। 2.77 एकड़ क्षेत्र में 15 मीटर (40-45 फीट) गहरी खुदाई की गई।
- 15 मार्च, 2021 : नींव की खुदाई के बाद उसे भरने का काम शुरू हुआ।
- 15 अक्टूबर, 2021 : नींव के समतलीकरण और रॉफ्ट बिछाने का काम पूरा हुआ।
- 14 अप्रैल, 2022 : राम मंदिर की 45 फीट गहरी नींव के उपर करीब 20 फीट ऊंचे चबूतरे (प्लिंथ) का काम शुरू। इसे सात लेयर में बनाया जाएगा, जिसमें से 3 लेयर अब तक पूरी हो चुकी हैं।
कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा :
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।
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