सार
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर 1000 साल की उम्र को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है। मंदिर निर्माण में प्राचीन कला के साथ ही आधुनिक तकनीक को भी ध्यान में रखा जा रहा है। यही वजह है कि इसके लिए अलग-अलग मापदंडों पर टेस्टिंग हो रही है।
नई दिल्ली/अयोध्या। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) में भव्य मंदिर बन रहा है। इस मंदिर को ऐसा बनाया जा रहा है कि यह आसानी से 1000 साल तक खड़ा रहे। मंदिर की खूबसूरती के लिए प्राचीन शैली के साथ ही मॉर्डर्न तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में आखिर किन तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे यह 1000 साल तक टस से मस नहीं होगा।
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, मंदिर में लगने वाले हर एक मटेरियल, हर एक डिजाइन और ड्राइंग का परीक्षण निर्माण एजेंसी एल एंड टी और टीसीई ने बेहद बारीकी से किया है। इसके अलावा हमने मंदिर का स्टेबिलिटी टेस्ट (स्थिरता परीक्षण) भी कराया है, जिसे सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट, रुड़की ने किया है। इस टेस्ट में मंदिर भवन निर्माण में हर एक स्टेप पर आने वाले लोड (भार) को कम्प्यूटराइज्ड स्टिमुलेशन के जरिए बहुत ही बारीकी से टेस्ट किया गया है।
मंदिर के लिए बेहतरीन इंजीनियरिंग और दिमाग का इस्तेमाल :
मिश्रा ने बताया कि मंदिर में बनने वाला बीम कहां होगा, उस पर कितना और किस तरह का लोड आएगा, प्लिंथ पर कितना लोड आएगा। मंदिर में लगने वाले पत्थरों और स्ट्रक्चर पर कितना लोड आएगा, इस तरह अलग-अलग मापदंडों पर लोड फैक्टर, स्टेबिलिटी, भूकंप का प्रभाव आदि का टेस्ट किया गया है। इन सभी टेक्निकल टेस्टिंग के बाद सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें फाउंडेशन से प्लिंथ निर्माण तक की पूरी प्रक्रिया को बताया गया है। मंदिर निर्माण में हमने भारत की बेहतरीन इंजीनियरिंग और दिमाग का इस्तेमाल किया है। यह मंदिर 1000 साल की उम्र को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है।
जानें कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट :
9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। बाद में 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' है।
कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा :
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।
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