सार
श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनने के बाद बुधवार को दिल्ली में हुई पहली बैठक में महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया है। जबकि विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय को ट्रस्ट का महामंत्री बनाया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं।
अयोध्या (Uttar Pradesh). श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनने के बाद बुधवार को दिल्ली में हुई पहली बैठक में महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया है। जबकि विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय को ट्रस्ट का महामंत्री बनाया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी गोविंद गिरी को दी गई है। जानकारी के मुताबिक, बैठक में कुल 9 प्रस्ताव पास पारित किए गए। हालांकि, बैठक में मंदिर निर्माण पर फैसला नहीं हुआ है।
ट्रस्ट का अध्यक्ष बनते ही नृत्यगोपाल दास ने कहा, राम मंदिर का मॉडल वही रहेगा, लेकिन उसे और ऊंचा और चौड़ा करने के लिए प्रारूप में थोड़ा बदलाव किया जाएगा।
मंदिर निर्माण पर 15 दिन बाद हो सकता है फैसला
नृत्यगोपाल दास ने बताया, राम मंदिर निर्माण कब शुरू होगा, इस पर बैठक में फैसला नहीं हुआ है। 15 दिन बाद ट्रस्ट के पदाधिकारी अयोध्या में फिर से मिलेंगे। जिसके बाद राम मंदिर निर्माण की तारीख तय की जाएगी।
बैठक में ये लोग थे मौजूद
के परासरण, महंत नृत्यगोपाल दास, महंत दिनेन्द्र दास, गृह मंत्रालय से संयुक्त सचिव ज्ञानेश कुमार, होम्योपैथ डॉ. अनिल कुमार मिश्रा, चंपत राय (VHP), शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, यूपी के अपर प्रधान गृह सचिव अवनीश अवस्थी, परमाननंद जी महाराज, अयोध्या के डीएम अनुज झा, कामेश्वर चौपाल, पेजावर मठ के प्रमुख विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामी, पुणे के स्वामी गोविंद देव गिरी और अयोध्या के राज परिवार के विमलेंद्र मोहन मिश्र
PM मोदी ने ट्रस्ट के गठन का किया था ऐलान
बता दें, पीएम नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी को लोकसभा में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है। ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर फैसले लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा।